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उप्र : भाजपा के समर्थन से नितिन अग्रवाल बने विधानसभा उपाध्यक्ष, मिले 244 वोट (लीड-1)

उप्र : भाजपा के समर्थन से नितिन अग्रवाल बने विधानसभा उपाध्यक्ष, मिले 244 वोट (लीड-1)

Updated on: 19 Oct 2021, 01:45 AM

लखनऊ:

उत्तर प्रदेश में विधानसभा उपाध्यक्ष पद के लिए सोमवार को विधानसभा सत्र के दौरान संपन्न हुए चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) समर्थित समाजवादी पार्टी (सपा) के बागी विधायक नितिन अग्रवाल निर्वाचित हुए। उन्होंने सपा प्रत्याशी नरेंद्र सिंह वर्मा को 244 मतों से हराया। वह यूपी विधानसभा के 18वें उपाध्यक्ष बने हैं।

चुनाव में 368 वोट पड़े, जबकि चार वोट अवैध घोषित हो गए। उपाध्यक्ष पद के लिए निर्वाचित हुए नितिन अग्रवाल को 304 वोट मिले, जबकि सपा के नरेंद्र वर्मा को 60 मत प्राप्त हुए। इस चुनाव में कांग्रेस और बसपा ने आज सदन का बहिष्कार किया था। दोनों ही दल के सदस्यों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया, बावजूद इसके समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को 14 वोट अधिक मिले।

इससे पहले सदन में पूर्व मुख्यमंत्री, राजस्थान के राज्यपाल रहे व भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता कल्याण सिंह के अतिरिक्त दो पूर्व सदस्यों अनिल कुमार व रजनीकांत को श्रद्धांजलि अर्पित कर दो मिनट का मौन रखा गया। इसके साथ ही सदन में उत्तर प्रदेश औद्योगिक शांति संशोधन 2021 को पटल पर रखा गया।

सदन की कार्यवाही 11 बजे शुरू हुई। उपाध्यक्ष के चुनाव के लिए दोपहर बारह बजे शुरू हुई मतदान की प्रक्रिया तीन बजे समाप्त हुई। 15 मिनट बाद मतगणना की प्रक्रिया शुरू हुई, जिसमें नितिन अग्रवाल को विजयी घोषित किया गया। मतदान प्रक्रिया से पहले ही विपक्षी दल बसपा ने सदन से यह कहकर वाकआउट किया इस चुनाव में निर्धारित प्रक्रिया नहीं अपनाई गई है, जबकि कांग्रेस ने इस एक दिवसीय विशेष सत्र की प्रक्रिया से दूर रही।

कांग्रेस के किसी सदस्य ने सदन की कार्यवाही में हिस्सा नहीं लिया। उपाध्यक्ष चुनाव की प्रक्रिया के विरोध में समाजवादी पार्टी के सदस्य बांह में कालीपट्टियां बांधकर आए थे। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी ने कहा कि उपाध्यक्ष के चुनाव में निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रचलित प्रक्रिया के अनुसार विधानसभा में उपाध्यक्ष का चुनाव निर्विरोध ही होता आया है। नेता प्रतिपक्ष के इन आरोपों को निराधार बताते हुए संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि जब साढ़े चार साल में विपक्ष उपाध्यक्ष के चुनाव के लिए अपना उम्मीदवार नहीं दे पाया तो संसदीय परंपराओं को ध्यान में रखते हुए यह जिम्मेदारी सरकार ने निभाई और अपने समर्थित उम्मीदवार नितिन अग्रवाल को अपना उम्मीदवार बनाया।

संसदीय कार्यमंत्री ने कहा कि पिछली दो विधानसभाओं में जब बसपा और सपा की सरकार थी, तब इन दलों ने उपाध्यक्ष का चुनाव नहीं कराया। इसी बीच प्रदेश के कैबिनेट मंत्री सतीश महाना ने कहा कि जब प्रदेश में बसपा की सरकार थी, तब समाजवादी पार्टी ने विपक्षी दल होने के बाद भी कभी उपाध्यक्ष के चुनाव की मांग नहीं की। नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी समेत सपा सदस्यों की मांग थी कि चूंकि उपाध्यक्ष के चुनाव में निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ तो इसलिए पूरी चुनाव प्रक्रिया का निरस्त कर दिया जाए।

चौधरी ने पूरी चुनाव प्रक्रिया को संसदीय लोकतंत्र की हत्या बताया। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि उपाध्यक्ष का चुनाव न तो निष्पक्ष हुआ है और न ही गोपनीय रहा। उन्होंने आरोप लगाया कि मतदान प्रक्रिया में भाजपा समर्थित उम्मीदवार के पक्ष में वोट डलवाने के लिए मुख्यमंत्री सहित कई ऐसे मंत्री सदन में मौजूद रहे जो इस सदन के सदस्य नहीं थे। सपा उम्मीदवार उतारे जाने के बावत नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि परंपरा को कायम रखने के लिए नामांकन कराया गया।

चुनाव परिणाम आने के बाद नेता सदन व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि नितिन अग्रवाल जैसे ऊजार्वान युवा को उपाध्यक्ष के रूप में काम करने का मौका मिला है। उन्होंने कहा कि नितिन अग्रवाल तीसरी बार इस सदन के सदस्य के रूप में निर्वाचित होकर आए हैं। तकनीकी रूप से वे सदन में अभी सपा के ही सदस्य हैं, लेकिन अंतर्विरोधों के चलते समाजवादी पार्टी अपने सदस्यों को दूसरी दल में जाने से नहीं रोक पाती। उन्होंने कहा कि धोखा देना समाजवादी पार्टी के प्रवृत्ति में शामिल है।

नितिन अग्रवाल के निर्वाचन के बाद मुख्यमंत्री व संसदीय कार्य मंत्री ने उपाध्यक्ष के लिए सदन में तय स्थान पर ले जाकर बिठाया। इस पर नेता विपक्ष चौधरी ने सदन में सरकार पर एकबार फिर संसदीय परंपराओं को तोड़ने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा परंपरा के मुताबिक उपाध्यक्ष को पहले पीठ पर ले जाना चाहिए था, ताकि पूरा सदन उन्हें पीठासीन कर बधाई देता, मगर सरकार ने इस परंपरा को भी तोड़ दिया। बाद में अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने भी चौधरी के कथन की पुष्टि करते हुए कहा, मैं इसमें संकोच कर गया।

इसी बीच संसदीय कार्य मंत्री खन्ना ने उपाध्यक्ष नितिन अग्रवाल को फिर से पीठ पर बिठाने का आग्रह किया, जिसका नेता विपक्ष चौधरी ने विरोध किया और सदन से वाकआउट कर गए। सपा सदन के सदस्यों के सदन से जाने के बाद अध्यक्ष दीक्षित ने उपाध्यक्ष अग्रवाल को पीठ पर आसीन कराया। इसके बाद उपाध्यक्ष ने विधायी कार्य निपटाकर सदन अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया।

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