नागरिक बिल (NRC) को लेकर असम में चल रहे प्रदर्शन के बीच तिनसुकिया में प्रदर्शनकारियों ने बीजेपी के जिला अध्यक्ष पर हमला कर उन्हें बुरी तरह पीट दिया. गौरतलब है कि तिनसुकिया में जहां ऑल असम स्टूडेंट यूनियन के सदस्य प्रदर्शन कर रहे थे ठीक उसके पास राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ की मीटिंग चल रही थी. वहीं पर आरएसएस के लोगों के साथ इस स्टूडेंट संगठन के सदस्यों के बीच झड़प शुरू हो गई जिसके बाद बीजेपी के जिला अध्यक्ष लखेश्वर मोरान को यूनियन के सदस्यों ने बुरी तरह पीट दिया. गौरतलब है कि असम में नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016 का विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है, प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने 11 जनवरी को बीजेपी कार्यालय में भी तोड़फोड़ की थी. ओइक्या सेना असम से जुड़े प्रदर्शनकारियों ने पलाशबाड़ी इलाके में स्थित कार्यालय में तोड़फोड़ की. पुलिस ने कहा था कि प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल के पुतलों को जलाया और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग को भी जाम कर दिया. असम में उस समय से विरोध हो रहा है, जब सोमवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उस विधेयक को पारित किया.
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क्या है असम एनआरसी का पूरा मामला
यह ड्राफ्ट असम में रह रहे बांग्लादेशी आव्रजकों को अलग करने का लंबे समय से चल रहे अभियान का हिस्सा है. एनआरसी को अपडेट करने की प्रक्रिया 2013 में शुरू हुई थी. यह प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के मार्गदर्शन और दिशानिर्देशों के तहत की जा रही है. एनआरसी में उन सभी भारतीय नागरिकों के नाम शामिल होंगे, जो असम में 25 मार्च 1971 के पहले से रह रहे हैं यानी जिनके पास उनके परिवार के इस तारीख से पहले से रहने के सबूत हैं।
पिछले साल 30 जुलाई को जारी किए गए दूसरे और अंतिम ड्राफ्ट से कुल 3.29 करोड़ आवेदकों में से 40 लाख से ज्यादा लोगों को बाहर कर दिया गया था जिसके बाद राष्ट्रव्यापी राजनीतिक विवाद पैदा हो गया था. नागरिकों की ड्राफ्ट सूची में 2.89 करोड़ आवेदकों को मंजूरी दी गई थी. एनआरसी का पहला ड्राफ्ट 1 जनवरी 2018 को जारी किया गया था जिसमें 3.29 करोड़ लोगों में से 1.9 करोड़ लोगों को नागरिकता मिली थी.
31 जुलाई के बाद नहीं बढ़ायी जाएगी समय सीमा
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को लेकर बीते हफ्ते कहा था कि असम राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के अंतिम प्रकाशन की तय सीमा को 31 जुलाई 2019 से आगे नहीं बढ़ाया जाएगा. कोर्ट ने असम के मुख्य सचिव, एनआरसी के राज्य समन्वयक प्रतीक हजेला और चुनाव आयोग को एनआरसी के सत्यापन पर सुनवाई कैसे की जाय, इस पर 7 दिनों के भीतर बैठक कर निर्णय लें. कोर्ट ने कहा कि इसके साथ ही लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया भी साथ में चलेगी इसलिए दोनों प्रकियाएं प्रभावित नहीं होनी चाहिए. सभी पक्षों को कहा गया है कि चुनाव और एनआरसी सत्यापन की प्रक्रिया में अधिकारियों का अभाव नहीं होना चाहिए.
असम एनआरसी समन्वयक प्रतीक हजेला ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, 'अंतिम एनआरसी में अब तक 36.2 लाख लोगों ने अपने नाम के दावे किए हैं, वहीं 31 दिसंबर तक 2 लाख से अधिक लोगों ने ड्राफ्ट में शामिल नामों के खिलाफ आपत्ति दर्ज कराई है. दावों पर सुनवाई से 15 दिन पहले दावेदारों को नोटिस जारी किए जाएंगे जो 15 फरवरी को शुरू होगा.'
वहीं इस मुद्दे को लेकर पीएम मोदी ने भरोसा दिलाया था कि संसद में जल्द ही संवैधानिक (संशोधन) विधेयक 2016 पारित किया जाएगा.
Source : News Nation Bureau