केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को कहा कि लैंड पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एलपीएआई) को अगले 25 साल का खाका (रोडमैप) बनाना चाहिए कि इन 25 वर्षों में भूमि मार्गों से अपने पड़ोसी देशों से आगे भी हमारे व्यापार का क्या लक्ष्य होगा।
यहां एलपीएआई के 10वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि प्राधिकरण गृह मंत्रालय के सभी उपक्रमों में सबसे छोटा है, लेकिन अपनी कम उम्र के बावजूद, 10 वर्षों के भीतर इस प्राधिकरण ने अपने उद्देश्यों को पूरा करने के लिए एक बड़ी यात्रा पूरी की है, जो कि बहुत काबिले तारीफ है।
शाह ने कहा, हमें अत्याधुनिक तकनीक को अपनाकर एक अभेद्य सुरक्षा घेरा बनाने का लक्ष्य रखना है क्योंकि हमारे पास 15,000 किलोमीटर की भूमि सीमा है और इस सीमा पर विभिन्न चुनौतियां हैं।
उन्होंने कहा कि इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए हमें पांच साल की पांच अवधि की योजना बनानी चाहिए और उनके भीतर एक साल का लक्ष्य भी वार्षिक योजनाओं के माध्यम से तय करना चाहिए, तभी हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर पाएंगे।
उन्होंने कहा कि साथ ही हमें सुरक्षा की ²ष्टि से सभी अत्याधुनिक तकनीक को अपनाते हुए एक अभेद्य सुरक्षा का चक्र बानने के लक्ष्य भी तय करने पड़ेंगे।
मंत्री ने कहा कि आज भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक आत्मनिर्भर राष्ट्र बनने की ओर बढ़ रहा है और इसमें कोई शक नहीं कि अगले 10 वर्षों में भारत दुनिया के उत्पादन केंद्र के रूप में प्रमुख होगा।
शाह ने कहा कि को प्राधिकरण ने 10 वर्षों की कम अवधि के अंदर अपनी उपयोगिता और प्रासंगिकता दोनों को सिद्ध किया है। बांग्लादेश के साथ हमारे ट्रेड कोरिडोर बड़ी मजबूती के साथ आकार लेते जाते हैं और जब ट्रेड कोरिडोर प्रस्थापित होते हैं, तब व्यापार अपना स्वभाव और प्रवाह बदलता है और यह ट्रेड कॉरिडोर की जिम्मेदारी है कि वह पड़ोसी देश के व्यापार के प्रवाह और स्वभाव दोनों को बदले।
शाह ने कहा कि 600 साल के अर्थतंत्र का अध्ययन करें तो कई ऐसे रूट्स मिलेंगे जिन्होंने पूरी दुनिया के साथ व्यापार करने वाले कई देशों के अर्थतंत्र को कॉन्ट्रिब्यूशन की ²ष्टि से बहुत महत्वपूर्ण स्थान दिया। हमें इस प्रकार के ट्रेड कोरिडोर के माध्यम से ट्रेड कोरिडोर की परंपरा को भी मजबूत करना पड़ेगा। मगर इसके साथ-साथ सिक्योरिटी एजेंसियों के साथ प्राधिकरण का संवाद और नियमित बैठकें भी बहुत जरूरी है क्योंकि इसी रास्ते कोई हमारी सुरक्षा को खतरे में डालने की कोशिश कर सकता है। इसलिए अलग-अलग बॉर्डर पर तैनात सीएपीएफ और सिक्योरिटी एजेंसियों के साथ प्राधिकरण का संवाद भी बहुत जरूरी है।
गृह मंत्री ने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों मे जन से जन का जुड़ाव एक बहुत बड़े खतरे को टालने का माध्यम बन सकता है। कोई भी देश जन भावनाओं से परे जाकर दूसरे देश के रिश्तों का आकार नहीं बदल सकता क्योंकि जन भावनाओं में बड़ी ताकत होती है, इसलिए अगर जन से जन का रिश्ता मजबूत करना है तो प्राधिकरण को इसे भी एक अलग ²ष्टि से देखना पड़ेगा।
शाह ने कहा कि दुनियाभर के बहुत सारे देश भू-राजनीतिक देश हैं, जबकि पूरी दुनिया में भारत ही ऐसा अकेला देश है जिसे हम विशुद्ध रूप से भू-सांस्कृतिक देश मानते हैं। अनेकविध भाषाओं, अनेकविध संस्कृति, खानपान और वेषभूषा में विविधता के बावजूद हम एक समान संस्कृति से जुड़कर एक देश बने हैं। उन्होने कहा की अगर हम इस यात्रा का ध्यान से अध्ययन करते हैं तो इसमें भूमि मार्गों का बहुत बड़ा महत्व है, क्योंकि इन मार्गों के माध्यम से ही पूरे एशिया में कोई ना कोई हमारी भारतीय संस्कृति का ध्वज लेकर गया है और उसे वहां फैलाने का काम किया।
अमित शाह ने कहा कि इन भूमि मार्गों ने पुरातन काल से ही समग्र खंड के अंदर भारत को एक प्रकार से व्यापार का आधिपत्य देने का काम किया और इन भूमि मार्गों के माध्यम से ही अनेक देशों के यात्री भारत आए और उन्होंने यहां से ज्ञान लेकर दुनिया भर में हमारे ध्वज को फहराया।
शाह ने निष्कर्ष निकाला कि आने वाले दिनों में नदियों और भूमि के बीच रेल संपर्क बढ़ने के साथ, एलपीएआई को तमाम चुनौतियों से निपटने के लिए अपनी स्वयं की कार्य योजना भी तैयार करनी होगी।
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Source : IANS