2019 में एकजुट विपक्ष को ऐसे साधेगी शाह की टीम, दलित-ओबीसी के लिए खास रणनीति तैयार

2019 में होने वाले आम चुनावों को लेकर बीजेपी ने एकजुट विपक्ष को भेदने के लिए नई रणनीति पर काम करना शुरु कर दिया है और ताकतवर दिखाई दे रहे विपक्ष के हमलों का जवाब देने अपने जनाधार को मजबूत करने में जुट गई है।

2019 में होने वाले आम चुनावों को लेकर बीजेपी ने एकजुट विपक्ष को भेदने के लिए नई रणनीति पर काम करना शुरु कर दिया है और ताकतवर दिखाई दे रहे विपक्ष के हमलों का जवाब देने अपने जनाधार को मजबूत करने में जुट गई है।

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vineet kumar1
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2019 में एकजुट विपक्ष को ऐसे साधेगी शाह की टीम, दलित-ओबीसी के लिए खास रणनीति तैयार

पीएम मोदी और अमित शाह (फाइल फोटो)

2019 में होने वाले आम चुनावों को लेकर बीजेपी ने एकजुट विपक्ष को भेदने के लिए नई रणनीति पर काम करना शुरु कर दिया है और ताकतवर दिखाई दे रहे विपक्ष के हमलों का जवाब देने अपने जनाधार को मजबूत करने में जुट गई है। 2019 में विपक्ष की टीम में कैसे सेंध लगाना है इस बात को लेकर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने अपनी टीम के साथ पार्टी के तरकश में कई तीर जमा कर लिेए हैं। एसे में टीम की उम्मीदें दलित-ओबीसी वर्ग में सपॉर्ट बेस को बढ़ाने के अलावा हिंदुत्व के एजेंडे को और मजबूत करने पर होगी।

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इसी उद्देश्य के साथ बीजेपी ने मॉनसून सत्र में जहां एक तरफ पिछड़े समुदाय से जुड़े बिलों को आगे बढ़ाया तो वहीं दूसरी तरफ अवैध प्रवासियों को लेकर मोर्चा भी खोल दिया है, जिसके बाद से पूरे विपक्ष खास तौर से तृणमूल कांग्रेस में खलबली मची हुई है।

NRC से मिलेगा सबसे ज्यादा फायदा

असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NRC) के मुद्दे पर बीजेपी के कई नेताओं और पार्टी पदाधिकारियों का कहना है कि इससे पूर्वी राज्यों और हिंदी भाषी इलाके में बीजेपी के लिए वोट प्रतिशत में इजाफा होगा।

बता दें कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह संसद से लेकर सड़क तक हर जगह इस मुद्दे को उठा रहे हैं।

इस दौरान शाह इस मुद्दे को ऐसे भुनाने की कोशिश में लगे हैं जिससे लोगों में यह संदेश जाए कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) अकेली ऐसी पार्टी है जिसके लिए वोट बैंक से ज्यादा राष्ट्रीय सुरक्षा मायने रखती है।

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SC/ST को लुभाने के लिए BJP का प्लान

यूपी और राजस्थान जैसे प्रदेशों के उपचुनावों में मिली हार के बावजूद बीजेपी इस कोशिश में जुटी है कि 2014 के आम चुनावों में दलित और अन्य पिछड़े वर्ग से जो समर्थन उसे हासिल हुआ था वह 2019 के चुनावों तक कायम रहे।

वहीं पर गठबंधन में फूट रोकने को लेकर बीजेपी ने सुप्रीम कोर्ट के एससी-एसटी ऐक्ट पर दिए गए फैसले को पलटने के लिए लोकसभा में बिल लाने की तैयारी कर ली है जिससे शाह की टीम को दलित वर्ग के बीच अपनी पैठ बनाने में मदद मिलेगी।

गौरतलब है कि यूपी में सभी विपक्षी दलों के हाथ मिलाने के बाद बीजेपी को जीत के लिए इस वर्ग का समर्थन हासिल करना बहुत जरूरी हो गया है।

बीजेपी को उम्मीद है कि 10 अगस्त को खत्म हो रहे मॉनसून सत्र में एससी-एसटी ऐक्ट बिल संसद से पास हो जाएगा।

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OBC वर्ग को समझाने के लिए यह है BJP की तैयारी

इतना ही नहीं ओबीसी समुदाय का दिल जीतने के लिए बीजेपी एक दूसरे बिल का सहारा ले रही है। लोकसभा ने पिछले हफ्ते पिछड़ा आयोग को एससी-एसटी आयोग की तरह संवैधानिक दर्जा देने के लिए एक बिल पास किया है।

बीजेपी इस बिल को खुद के ओबीसी समुदाय के हितैषी होने के सबूत के तौर पर इस्तेमाल कर रही है।

आपको बता दें कि 2014 में बीजेपी को यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से 71 और उसकी सहयोगी अपना दल को 2 सीटों पर जीत मिली थी। हालांकि इस बार विपक्ष की एकजुटता को देखते हुए इस प्रदर्शन को दोहराना काफी कठिन लग रहा है।

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Source : News Nation Bureau

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