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I.N.D.I.A. गठबंधन को लेकर बीजेपी का निशाना, बोली- 'भ्रष्टों का गठबंधन'

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शनिवार को आगामी लोकसभा चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे के समझौते की आलोचना करते हुए इसे

Updated on: 24 Feb 2024, 07:27 PM

नई दिल्ली :

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शनिवार को आगामी लोकसभा चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे के समझौते की आलोचना करते हुए इसे "भ्रष्टों का गठबंधन" करार दिया है. केंद्रीय विदेश और संस्कृति राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी, जो नई दिल्ली से सांसद हैं, ने कहा कि दोनों पार्टियों ने गठबंधन इसलिए बनाया ताकि राष्ट्रीय राजधानी में लोकसभा की सभी सात सीटें हारने के बाद वे एक-दूसरे पर दोष मढ़ सकें. न सिर्फ इतना, बल्कि भाजपा ने कांग्रेस-आप सीट बंटवारे समझौते पर और भी जमकर निशाना साधा...

केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी ने कहा कि, “मैं आपको 2013 की याद दिलाना चाहती हूं, जब आम आदमी पार्टी ने कहा था कि कांग्रेस एक भ्रष्ट पार्टी है और उनसे ज्यादा भ्रष्ट कोई पार्टी नहीं हो सकती. केजरीवाल ने एक साक्षात्कार में यहां तक ​​कहा कि एक या दो मंत्रियों को छोड़ दें, तो कांग्रेस के भीतर सभी भ्रष्ट हैं"

साथ ही लेखी ने 2014 में दिल्ली सीएम द्वारा पेश की गई "भ्रष्ट नेताओं" की एक सूची भी पढ़ी, जिसमें तत्कालीन कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल, सुशील कुमार शिंदे, वीरप्पा मोइली, जी.के. वासन, सलमान खुर्शीद, कमल नाथ, श्रीप्रकाश जयसवाल, फारूक अब्दुल्ला और शरद पवार शामिल थे. 

उन्होंने कहा कि केजरीवाल ने कसम खाई है कि, वह 2019 में कभी भी कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करेंगे. उन्होंने कहा, "अरविंद केजरीवाल कागजों का ढेर लेकर घूमते थे और कहते थे कि उनके पास (पूर्व दिल्ली सीएम) शीला दीक्षित के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं." 

हालांकि, लेखी ने यह भी दावा किया कि AAP को वास्तव में कांग्रेस द्वारा समर्थित किया गया था, और भारत के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन को विभाजित करने के लिए बनाया गया था. उन्होंने कहा कि आप को चुनावी शुरुआत से ही झाड़ू के चुनाव चिन्ह का उपयोग करने की अनुमति दी गई थी, जो कांग्रेस के समर्थन और केजरीवाल और कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के बीच "संबंधों" का सबूत था. 

लेखी ने कहा कि गठबंधन राजनीति के "अंकगणित" और "केमिस्ट्री" दोनों को समझने में विफल रहा है, क्योंकि अगर दिल्ली के 2019 के लोकसभा चुनावों में उनके दोनों वोट शेयरों को जोड़ दिया जाए, तब भी यह अकेले भाजपा से आगे नहीं निकल पाएगा.