उत्तर प्रदेश में पहले चरण के मतदान के लिए कुल 623 उम्मीदवारों में से 615 द्वारा दाखिल हलफनामों का विश्लेषण करने वाले एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने पाया है कि लगभग सभी पार्टियों ने आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार उतारे हैं।
प्रमुख दलों में समाजवादी पार्टी के 28 उम्मीदवारों में से 21, राष्ट्रीय लोक दल के 29 उम्मीदवारों में से 17, भाजपा के 57 उम्मीदवारों में से 29, कांग्रेस के 58 उम्मीदवारों में से 21, बसपा के 56 उम्मीदवारों में से 19 और आप के 52 उम्मीदवारों में से 8 ने अपने हलफनामे में चल रहे आपराधिक मामले की जानकारी दी है।
महिलाओं के खिलाफ अपराध से संबंधित घोषित मामलों वाले 12 उम्मीदवार हैं। इनमें से एक उम्मीदवार ने अपने विरुद्ध चल रहे दुष्कर्म से जुड़े मामले (आईपीसी धारा-376) की घोषणा की।
जिन लोगों के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले हैं, उनमें सपा के 17, रालोद के 15, भाजपा के 22, कांग्रेस के 11, बसपा के 16 और आप के पांच शामिल हैं।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले चरण में उम्मीदवारों के चयन में राजनीतिक दलों पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का स्पष्ट रूप से कोई प्रभाव नहीं पड़ा है।
एडीआर ने रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि पहले चरण का चुनाव लड़ने वाली सभी प्रमुख पार्टियों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित करने वाले 75 फीसदी उम्मीदवारों को 15 फीसदी टिकट दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने 13 फरवरी, 2020 के अपने निर्देशों में विशेष रूप से राजनीतिक दलों को इस तरह के चयन के लिए कारण बताने का निर्देश दिया था और पूछा था कि बिना आपराधिक इतिहास वाले व्यक्तियों को उम्मीदवार के रूप में क्यों नहीं चुना जा सकता। उम्मीदवार का चयन योग्यता और उपलब्धियों के आधार पर होना चाहिए।
वर्ष 2020-21 में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान यह देखा गया था कि राजनीतिक दलों ने व्यक्ति की लोकप्रियता, अच्छे सामाजिक कार्य का हवाला दिया और दागी पृष्ठभूमि वाले उम्म्ीदवारों के खिलाफ चल रहे मामलों को राजनीति से प्रेरित और बेबुनियाद बताया था।
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Source : IANS