तीन तलाक पर कानून बनने से अब नहीं रोक सकेगा कोई, यह है इसका कारण
अगले साल राज्यसभा में पूर्ण बहुमत के बाद मोदी सरकार उन तमाम मसलों पर विधेयक लाएगी, जो संख्याबल के अभाव के कारण अभी लंबित हैं या उचित समय की राह देख रहे हैं.
highlights
- बीजेपी अगले साल तक राज्यसभा में पूर्ण बहुमत वाली पार्टी हो जाएगी.
- अगले साल नवंबर में यूपी से रास की 10 में से अधिकांश सीटें भाजपा जीतेगी.
- बीजद औऱ टीआरएस का मिल सकता है राज्यसभा में साथ.
नई दिल्ली.:
बीजेपी नीत एनडीए (NDA) की मोदी के नेतृत्व वाली सरकार को पहले कार्यकाल में अपने कई महत्वपूर्ण विधेयकों (Bill) को सिर्फ इसलिए रोकना पड़ा, क्योंकि उसके पास राज्यसभा (Rajyasabha) में बहुमत नहीं था. यह अलग बात है कि दूसरे कार्यकाल के लिए प्रचंड बहुमत से जीत कर आई बीजेपी अगले साल तक राज्यसभा में पूर्ण बहुमत (Majority) वाली पार्टी हो जाएगी. माना जा रहा है कि इसके बाद मोदी सरकार उन तमाम मसलों पर विधेयक लाएगी, जो संख्याबल के अभाव के कारण अभी लंबित हैं या उचित समय की राह देख रहे हैं.
अगले साल राज्य सभा में मिल जाएगा बहुमत
आंकड़े भी बताते हैं कि लोकसभा चुनाव (Loksabha Elections Results) में भारी सफलता के बाद भाजपा नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के पास अगले साल के अंत तक राज्यसभा में बहुमत हो जाएगा. उसके बाद मोदी सरकार को अपने विधायी एजेंडे को आगे बढ़ाने में कहीं आसानी होगी. गौरतलब है कि फिलहाल राजग के पास राज्यसभा में 102 सदस्य हैं, जबकि कांग्रेस नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन संप्रग के पास 66 और अन्य के पास भी 66 सदस्य हैं.
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राज्यसभा में 123 है बहुमत संख्या
ध्यान रखें कि राज्यसभा में बहुमत संख्या 123 है. संसद के इस ऊपरी सदन (Upper House) के सदस्यों का चुनाव राज्य विधानसभा के सदस्य करते हैं. जिस प्रकार बीजेपी को राज्य विधानसभाओं (Assembly Elections) में सफलता मिली है, उसके आधार पर राजग के खेमे में अगले साल नवंबर तक लगभग 18 सीटें और जुड़ जाएंगी. इसके साथ राजग को कुछ नामित, निर्दलीय और असंबद्ध सदस्यों का भी समर्थन मिल सकता है.
संख्या गणित लाएगा बीजेपी के सांसद
वैसे भी अगले साल नवंबर में उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में खाली होने वाली राज्यसभा की 10 में से अधिकांश सीटें भाजपा जीतेगी. फिलहाल इनमें से नौ सीटें विपक्षी दलों (Opposition) के पास हैं. इनमें से छह समाजवादी पार्टी (सपा) के पास, दो बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और एक कांग्रेस के पास है. उत्तर प्रदेश विधानसभा में भाजपा के 309 सदस्य हैं. सपा के 48, बसपा के 19 और कांग्रेस के सात सदस्य हैं.
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विधानसभा चुनाव परिणाम डालेंगे असर
अगले साल तक भाजपा को असम, अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड, ओडिशा, हिमाचल प्रदेश में सीटें मिलेंगी. भाजपा (BJP) राजस्थान, बिहार, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में सीटें गंवाएगी. महाराष्ट्र और हरियाणा में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के परिणाम भी राजग की सीट संख्या पर असर डालेंगे. फिलहाल असम की दो सीटों पर चुनाव की घोषणा हो चुकी है, जबकि तीन अन्य सीटें राज्य में अगले साल तक खाली हो जाएंगी. भाजपा और उसके सहयोगी दलों के पास राज्य विधानसभा में दो-तिहाई बहुमत है.
जून से सुधरने लगेगी स्थिति
वैसे बीजेपी को इसी साल से ही विधायी कार्यों को लेकर राज्यसभा (Rajyasabha) में राहत मिलनी शुरू हो जाएगी. वजह यह है कि लगभग एक-तिहाई सीटें इस साल जून और अगले साल नवंबर में खाली हो जाएंगी. दो सीटें अगले महीने असम में खाली हो रही हैं, तो छह सीटें इस साल जुलाई में तमिलनाडु (Tamilnadu) में खाली हो जाएंगी. उसके बाद अगले साल अप्रैल में 55 सीटें खाली होंगी, पांच जून में, एक जुलाई में और 11 नवंबर में खाली होगी.
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बगैर रुकावट निर्बाध बढ़ेंगे विधायी काम
इतनी सीटें जुटा लेने के बाद भाजपा नेतृत्व (BJP) वाली सरकार के पास अपने विधायी एजेंडे को आगे बढ़ाने का भरपूर और निर्बाध मौका होगा. कह सकते हैं कि पिछले पांच सालों के दौरान विपक्ष के विरोध के कारण जो गाड़ी आगे नहीं बढ़ पा रही थीं, वह अब गति पकड़ सकेगी. गौरतलब है कि सरकार तीन तलाक (Triple Talaq) विधेयक राज्यसभा में पारित नहीं करा सकी, जबकि यह विधेयक लोकसभा (Lower Sabha) में पारित हो चुका है. यही हाल नागरिकता संशोधन विधेयक का भी है.
बीजद और टीआरएस भी आ सकते हैं साथ
गैर बीजेपी और गैर कांग्रेस खेमों की बात करें तो बीजू जनता दल (BJD) और तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) ने फिलहाल भाजपा और कांग्रेस से समान रूप से दूरी बना रखी है, लेकिन दोनों दलों ने पिछले साल राज्यसभा के उपसभापति पद के लिए हरिवंश का समर्थन किया था. ऐसे में माना जा रहा है कि अब कई अहम मुद्दों पर बीजेपी नीत एनडीए सरकार को इनका समर्थन भी मिल सकेगा. साथ ही वायएसआर कांग्रेस पार्टी (YSRCP) भी बीजेपी की मददगार बनकर उभरेगी.
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