दिल्ली और छत्तीसगढ़ के बाद अब झारखंड में भी शराब घोटाले का शोर है। पूर्व सीएम और भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी ने दावा किया है कि झारखंड में शराब नीति के लिए नियुक्त छत्तीसगढ़ की परामर्शी कमेटी ने सिंडिकेट और अधिकारियों से मिलकर सरकार को 450 करोड़ का चूना लगाया है। इधर, छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले की जांच कर रही ईडी ने पिछले हफ्ते झारखंड के एक्साइज डिपार्टमेंट के सेक्रेटरी विनय कुमार चौबे और डायरेक्टर करण सत्यार्थी को नोटिस जारी किया है।
दरअसल झारखंड सरकार ने पिछले साल एक्साइज की नई पॉलिसी लागू की थी और इसे जमीन पर उतारने के लिए छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (सीएसएमसीएल) के साथ करार करते हुए उसे बतौर कंसल्टेंट नियुक्त किया था। ईडी की छत्तीसगढ़ इकाई ने झारखंड के अधिकारियों से इस करार के बारे में अपना पक्ष रखने को कहा है।
अब भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि छत्तीसगढ़ की शराब नीति भ्रष्टाचार के लिए ही झारखंड में लागू की गयी। छत्तीसगढ़ की ही कंपनियों को यहां ठेका दिया गया। बाबूलाल ने आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ की चार कंपनियों को गलत तरीके से झारखंड में काम मिला। राज्य सरकार ने शुरूआत में 2300 करोड़ की राजस्व वसूली का दावा किया लेकिन बाद में पता चला कि नुकसान होने वाला है। मैंने गड़बड़ी की आशंका जताते हुए मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखी। बाद में जब ईडी ने छत्तीसगढ़ में छापा मारा और मामला झारखंड से जुड़ा तो सरकार ने आनन-फानन में उत्पाद सचिव और आयुक्त को नोटिस जारी किया और 450 करोड़ रुपये की रिकवरी करने को कहा। शराब घोटाले में शामिल अधिकारियों पर कार्रवाई न करके उन्हें नोटिस देना बताता है कि सरकार ने अपनी चमड़ी बचाने के लिए पूरा चक्रव्यूह रचा।
मरांडी ने कहा कि ऐसा कोई सेक्टर नहीं है जिसमें हेमंत सोरेन के कार्यकाल में भ्रष्टाचार न हुआ हो। हमने 18 और 19 अप्रैल को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को चिट्ठी लिखी। इस चिट्ठी के जरिये हमने उन्हें आगाह किया कि अधिकारियों और बिचौलियों की मदद से कंपनियों को फायदा पहुंचाया गया, लेकिन सरकार ने कार्रवाई नहीं की।
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Source : IANS