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गुजरात के बाद की पिक्चर अभी बाकी है, बीजेपी पूरे घर को बदलने के मूड में

बीजेपी आलाकमान ने महज तीन महीनों में तीन राज्यों के मुख्यमंत्रियों को बदलकर आने वाले समय की राजनीतिक तैयारियों को लेकर बड़े बदलाव के संकेत दे दिए हैं.

Updated on: 12 Sep 2021, 06:57 AM

highlights

  • आने वाले समय में कुछ और राज्यों में नेतृत्व परिवर्तन के संकेत
  • फीडबैक के तहत बीजेपी कस रही है सभी ढीले और कमजोर पेंच
  • नेतृत्व ने तीन महीने में ही बदल दिए हैं तीन राज्यों के मुख्यमंत्री

नई दिल्ली:

भारतीय जनता पार्टी (BJP) और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) ने अगले कई सालों का चुनावी रणनीतिक खाका खींच लिया है. गुजरात के सीएम विजय रूपाणी (Vijay Rupani) का इस्तीफा इसकी एक कड़ी मात्र है. इसके पहले बीजेपी आलाकमान ने महज तीन महीनों में तीन राज्यों के मुख्यमंत्रियों को बदलकर आने वाले समय की राजनीतिक तैयारियों को लेकर बड़े बदलाव के संकेत दे दिए हैं. राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो आने वाले समय में कुछ और राज्यों में नेतृत्व परिवर्तन देखने को मिल सकता है. इसकी एक बड़ी वजह पार्टी नेतृत्व को मिला फीडबैक है, जो अपेक्षा के अनुरूप नहीं है. ऐसे में कमजोर विपक्ष के बावजूद बीजेपी नेतृत्व समय रहते सारे ढीले पेंच कस लेना चाहता है. गुजरात में नेतृत्व बदलाव इसी बात का संकेत है. 

बीते तीन महीनों में बदले तीन सीएम
गौरतलब है कि भाजपा नेतृत्व ने तीन महीनों में उत्तराखंड, कर्नाटक और अब गुजरात के मुख्यमंत्री को बदला है. उत्तराखंड अगले साल विधानसभा के चुनावी समर में उतरने जा रहा है. पार्टी रणनीति के अनुसार वहां पर पुराने नेतृत्व के साथ जरूरी चुनावी तैयारियां नहीं हो रही थी. यही वजह है कि रणनीतिक बिसात के मद्देनजर उत्तराखंड में बदलाव किया गया. कर्नाटक में भी पार्टी ने अपने सबसे बड़े नेता बीएस येद्दुरप्पा को बदल दिया ताकि भविष्य की राजनीति के लिहाज से मजबूत जमीन तैयार की जा सके. अब गुजरात में नेतृत्व परिवर्तन पार्टी नेतृत्व ने साफ कर दिया है कि वह ढील देने या कमजोर नेतृत्व को नजरअंदाज करने के पक्ष में कतई नहीं है.

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2024 के लिए मजबूत बुनियाद की तैयारियां
सूत्रों के अनुसार भाजपा नेतृत्व की असल चिंता 2024 लोकसभा चुनाव से पहले होने वाले विभिन्न राज्यों के विधानसभा चुनाव हैं. पार्टी इन चुनावों में अपना प्रदर्शन मजबूत रखना चाहती है, ताकि 2024 के लिए एक मजबूत बुनियाद मिल सके. यही वजह है कि चुनाव से पहले फीडबैक लेने की रणनीति बनाई गई और अब उसी के अनुरूप गोटियां बिछाई जा रही हैं. कोरोना संक्रमण ने बीजेपी के लिए खासी दिक्कतें बढ़ाई हैं. लोगों में नाराजगी है, जिसका असर चुनाव परिणामों पर पड़ सकता है. ऐसे में पार्टी नए नेताओं के साथ नई तैयारियों के साथ जनता का विश्वास नए सिरे से पाना चाहती है. 

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इन राज्यों में भी बदल सकता है नेतृत्व
अगर अंदरूनी सूत्रों की मानें तो अब मध्य प्रदेश, हरियाणा और त्रिपुरा में बड़े पैमाने पर फेरबदल देखने को मिल सकता है. इसकी वजह इन राज्यों में फीडबैक अच्छा नहीं आया है. इन सभी राज्यों में बीजेपी की ही सरकार है. मध्यप्रदेश में तो 2024 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले पार्टी को विधानसभा चुनाव में उतरना है. त्रिपुरा में भी प्रदेश नेतृत्व पर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं और पार्टी के लिए दुश्वारियां कम नहीं हो रही हैं. हरियाणा में भी यही हाल है. ऐसे में स्थानीय सामाजिक समीकरणों को ध्यान में रखकर भाजपा ने गैर जाट राजनीति को आगे बढ़ाया है, लेकिन नेतृत्व को लेकर समस्या कम नहीं हो रही है.