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B'day Spl: सर सैयद अहमद खान ने जानें कैसे की AMU की स्‍थापना, ये हैं 10 रोचक बातें

AMU यानी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय. देश्‍ा और दुनिया को तमाम विद्वान देने वाले इस संस्‍थान को स्‍थापित करने वाले सर सैयद अहमद खान का आज जन्‍म दिन है.

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vinay mishra
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B'day Spl: सर सैयद अहमद खान ने जानें कैसे की AMU की स्‍थापना, ये हैं 10 रोचक बातें

Sir Syed Ahmad Khan (फाइल फोटो)

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AMU यानी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय. देश्‍ा और दुनिया को तमाम विद्वान देने वाले इस संस्‍थान को स्‍थापित करने वाले सर सैयद अहमद खान का आज जन्‍म दिन है. इन्‍होंने इस विश्वविद्यालय की स्‍थापना की थी. आइए जानते हैं उनके जीवन के बारें में ….

दिल्‍ली में हुआ था जन्‍म
सर सैयद अहमद खान का जन्म दिल्ली के एक समृद्ध व प्रतिष्ठित परिवार में 17 अक्टूबर सन 1817 को हुआ था. इनके पिता का नाम मीर मुत्तकी तथा माता का नाम मीर अजिजुत्रिसा बेगम था. इनकी शिक्षा अरबी, फ़ारसी, हिंदी, अंग्रेजी के अनेक प्रतिष्ठ विद्वानों द्वारा हुई. इन्होने ज्योतिष, तैराकी तथा निशानेबाजी का भी अभ्यास किया.25 मार्च सन 1898 को इस महान शिक्षाविद् का निधन हो गया.

मुगलों के दरबार में की थी नौकरी
सर सैयद अहमद खान पहले मुगल दरबार में नौकरी करते थे. बाद में मुगल दरबार छोड़कर वह अंग्रेजों की नौकरी करने लगे. विभिन्न पदों पर कार्य करते हुए वे सन 1876 में बनारस के स्माल काजकोर्ट के जज पद से सेवानिवृत हुए. अंग्रेजों ने इनकी सेवा व निष्ठा को देखते हुए इन्हें ”सर” की उपाधि से विभूषित किया था.

काफी किफायत से रहते थे
अहमद साहब बहुत ही किफायत से रहते थे. इन्होंने सन 1857 के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम को पास से देखा था और इस पर एक पुस्तक ‘असबाबे बगावते हिन्द’ (भारतीय विद्रोह के कारण) लिखकर यह बताया की इस विद्रोह के कारण क्या थे. उनकी दृष्टि में विद्रोह का मूल कारण भारतीयों को कानून बनाने से दूर रखना था. वे एक विचारक और चिन्तक थे. उन्होंने देखा की भारतीय मुस्लिम समाज दिशा – निर्देश के अभाव में पिछड़ता जा रहा है.

इस्लाम धर्मानुयायियों में बौद्धिक चेतना लाना चाहते थे
वे इस्लाम धर्मानुयायियों में ”बौद्धिक चेतना” प्रदान कर नयी दिशा देना चाहते थे. इसके लिए इन्होने ‘तहजीबुल एखलाक’ नामक पत्रिका निकाला. उनका कहना था की धर्मशास्त्रीय ज्ञान के साथ-साथ आधुनिक विषयों और विज्ञान का ज्ञान प्राप्त करना आवश्यक है. यही कारण था की उन्होंने उस समय प्रचलित पारम्परिक शिक्षानीति का विरोध किया. वे मानते थे की शिक्षा का उद्देश्य छात्र की बौद्धिक चेतना को उजागर करना व उसके व्यक्तित्व का निखार करना है.

कई शिक्षण संस्‍थाओं की स्‍थापना
शिक्षा के विकास के लिए सर सैयद अहमद खान ने अनेक संस्थायें खोली. इनमे मुरादाबाद का एक फ़ारसी मदरसा, साइंसटिफिक सोसाइटी अलीगढ आदि प्रमुख है. मुस्लिम समाज में आधुनिक शिक्षा को लोकप्रिय बनाने के लिए उन्होंने ”मोहम्मडन एजुकेशन कांफ्रेंस” की भी स्थापना की. सन 1873 में एक अन्य समिति का गठन किया गया जिसका उद्देश्य अलीगढ में एक कॉलेज की स्थापना करना था. इस कॉलेज के लिए समाज के सभी वर्ग के लोगों ने चंदा किया.

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की नीव रखी
इस प्रकार सन 1875 में ‘मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज’ की अलीगढ़ में स्थापना हुई. यही संस्‍था 1920 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में बदल गई और आज तक कायम है.

जानें उनके बारे में 10 अच्‍छी बातें

1. सर सैयद अहमद खान अलीगढ़ में मुहम्मदन एंग्लो-ओरिएण्टल कालेज की स्थापना की जो बाद में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के नाम से प्रसिद्ध हुआ.

2. सर सैयद अहमद खान अपने समय के सबसे प्रभावशाली मुस्लिम नेता थे. उनका विचार था कि भारत के मुसलमानों को ब्रिटिश सरकार के प्रति वफ़ादार नहीं रहना चाहिए. सर सैयद ने ही उर्दू को भारतीय मुसलमानों की सामूहिक भाषा बनाने पर जोर दिया था.

3. 1842 में भारत के अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर ने उन्‍हें जवद उद दाउलाह उपाधि से सम्‍मानित किया.

4. 1857 के गदर की असफलता के चलते सर सैयद का घर तबाह हो गया उनके परिवार के कई लोग मारे गए और उनकी मां को जान बचाने के लिए करीब एक सप्‍ताह तक घोड़े के अस्तबल में छुपे रहना पड़ा. इसके बाद ही वे पूरी तरह अंग्रेजों और उनके शासन के खिलाफ हो गए और पक्‍के राष्‍ट्रवादी बन गए.

5. उन्‍होंने मुस्‍लिम कौम को अंग्रेजों के प्रभाव से निकालने के लिए काम करना शुरू किया और लोगों को बताया कि अंग्रेज शासक उनका कभी भला नहीं करेंगे.

6. अपने काम के लिए उन्‍हें सबसे सही माध्‍यम शिक्षा लगी और इसीलिए उन्‍होंने मुस्‍लिम समाज को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया. इसी क्रम में सर सैयद ने 1858 में मुरादाबाद में आधुनिक मदरसे की स्थापना की और 1863 में गाजीपुर में भी एक आधुनिक स्कूल की स्थापना की.

7. समाज को जागरूक करने के लिए उन्होने "साइंटिफ़िक सोसाइटी" की स्थापना की, जिसने कई शैक्षिक पुस्तकों का अनुवाद प्रकाशित किया. साथ ही उर्दू और अंग्रेज़ी में द्विभाषी पत्रिका निकाली.

8. सर सैयद ने 1886 में ऑल इंडिया मुहमडन ऐजुकेशनल कॉन्फ़्रेंस का गठन किया, जिसके वार्षिक सम्मेलन मुसलमानों में शिक्षा को बढ़ावा देने तथा उन्हें एक साझा मंच उपलब्ध कराने के लिए देश भर में आयोजित किया जाते थे.

9. 1906 में उन्‍होंने मुस्लिम लीग की स्थापना की जो उस समय भारतीय इस्लाम मानने वाले लोगों के लिए एक प्रमुख राष्ट्रीय मंच बन गया था. बाद में यही मंच ऑल इंउिया मुस्‍लिम लीग के नाम से मशहूर हुआ.

10. मई 1875 में सर सैयद अहमद खाने ने अलीगढ़ में 'मदरसतुलउलूम' नाम से एक मुस्लिम स्कूल स्थापित किया. इसके बाद 1876 में रिटायर होने के बाद उन्होने इसे कॉलेज में बदलने की शुरूआत की. हालांकि कई रूढ़िवादी मुस्‍लिम उनके विरोध में थे, इसके बावज़ूद कॉलेज कामयाब रहा और यही संस्‍था 1920 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में बदल गई और आज तक कायम है.

Source : News Nation Bureau

Aligarh Muslim University AMU birthday of Sir Syed Ahmad Khan
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