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Birth Day Special: अपने देश में कभी आया था एक लाख का नोट, गांधी जी की जगह इनकी थी तस्‍वीर

अपने देश में एक बार एक लाख रुपये का भी नोट छप चुका है. इस नोट पर महात्‍मा गांधी की फोटो नहीं थी.

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Drigraj Madheshia
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Birth Day Special: अपने देश में कभी आया था एक लाख का नोट, गांधी जी की जगह इनकी थी तस्‍वीर

अपने देश में एक बार एक लाख रुपये का भी नोट छप चुका है.

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अपने देश में एक बार एक लाख रुपये का भी नोट छप चुका है. इस नोट पर महात्‍मा गांधी की फोटो नहीं, बल्कि सुभाष चंद्र बोस की फोटो छपी थी. आज 23 जनवरी को सुभाष चंद्र बोस की जयंती है. नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे प्रमुख नेताओं में से एक हैं. आजादी की लड़ाई में दिए गए योगदान के लिए सुभाष चंद्र बोस को आज भी याद किया जाता है. जानिए नेताजी से जुड़े दो किस्‍से..

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नेताजी सुभाष चंद्र बोस की ने आजाद हिंद सरकार का गठन कर लिया था. उस समय बाजार में एक लाख रुपये का नोट आ चुका था. इस बात की जानकारी नेताजी के चालक रहे कर्नल निजामुद्दीन ने एक बार एक इंटरव्यू में दी थी. एक लाख रुपये का नोट जारी करने वाले आजाद हिंद बैंक को तब के दस देशों का समर्थन प्राप्त था.

आजाद हिंद बैंक की स्थापना वर्ष 1943 में ही हो गई थी. आजाद हिंद सरकार व फौज को समर्थन देने वाले दस देशों वर्मा, क्रोसिया, जर्मनी, नानकिंग (वर्तमान में चीन), मंचूको, इटली, थाईलैंड, फिलीपिंस व आयरलैंड ने बैंक की करेंसी को भी मान्यता दी थी. बैंक की ओर से दस रुपये के सिक्के से लेकर एक लाख रुपये के नोट तक जारी किए गए थे.

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आजाद हिंद बैंक की ओर से जारी 5000 के नोट की ही जानकारी सार्वजनिक थी, पांच हजार का एक नोट बीएचयू के भारत कला भवन में भी सुरक्षित रखा है, जबकि हाल में एक लाख के नोट की तस्वीर नेताजी की प्रपौत्री राज्यश्री चौधरी ने विशाल भारत संस्थान को उपलब्ध कराया था.

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नेताजी के बॉडीगार्ड रहे कर्नल निजामुद्दीन को 17 रुपए तनख्वाह मिलती थी. वहीं, आजाद हिंद फौज के लेफ्टिनेंट की सैलरी 80 रुपए महीने थी. बर्मा में तैनात अफसरों को 230 रुपए तक तनख्वाह मिलती थी. नेताजी ने आजाद हिंद फौज का खुफिया विभाग भी बनाया था. इसमें कम ही लोग थे. इसका नेटवर्क कुछ महीनों में ही भारत के कोने-कोने में फैल गया था. प्रो. श्रीवास्तव के मुताबिक नेताजी ने पनडुब्बी के जरिए कई बार जासूसों को सिंगापुर और बैंकॉक भी भेजा था. जहां से अफसर, ब्रिटिश सेना के बारे में तमाम जानकारियां जुटाकर लौटे थे.

बोस की लव स्टोरी

सुभाष चंद्र बोस जिस वक्त देश की आजादी के लिए लड़ रहे थे, उसी वक्त उन्हें एक महिला से प्यार हो गया था, जिससे वह आखिरी सांस तक प्यार करते रहे. साल 1934 में ब्रिटिश सरकार ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को निर्वासित कर दिया था. नेताजी वियेना चले गए और यहीं से आजादी की मुहिम जारी रखी. वह अपने साथियों को पत्र लिखा करते, इसके लिए उन्होंने एक महिला मिस एमिली शांक्ले को काम पर रखा था. इसी दौरान वह एमिली शांक्ले की तरफ आकर्षित होने लगे और दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ने लगी.

नेताजी करीब दो साल तक वियेना में रहे. इस दौरान वह यूरोप के कई स्थानों पर एमिली के साथ घूमने गए. लेकिन 1936 में वह भारत लौट आए. हालांकि उनके और एमिली के बीच संपर्क बना रहा. नेताजी समय निकालकर एमिली को प्रेम पत्र लिखा करते थे. एक पत्र में उन्होंने लिखा था, "तुम पहली महिला हो, जिससे मैंने प्यार किया. भगवान से यही चाहूंगा कि तुम मेरे जीवन की आखिरी स्त्री भी रहो.”

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सुभाष चंद्र बोस के जीवन पर लिखी एक पुस्तक के मुताबिक 26 दिसंबर 1937 को ऑस्ट्रिया के बडगस्टीन शहर में बोस और एमिली ने गुपचुप तरीके से शादी कर ली. कुछ इतिहासकार ऐसा भी मानते हैं कि दोनों ने 1942 में शादी की थी.

1945 में बोस का प्लेन क्रैश

बोस और एमिली ने आजादी तक किसी से शादी का जिक्र न करने का फैसला किया था लेकिन ऐसा हो नहीं सका. 8 जनवरी 1943 को बोस जर्मनी से जापान के लिए रवाना हो रहे थे. इसी वक्त वह आखिरी बार एमिली से मिले थे. 18 अगस्त 1945 में खबर आई की एक प्लेन दुर्घटना में नेताजी का निधन हो गया है. बोस के निधन की खबर के बावजूद आज तक उनकी मौत मिस्ट्री बनी हुई है. कुछ लोग मानते हैं कि प्लेन दुर्घटना में बोस का निधन नहीं हुआ था, वह आजादी के बाद कई सालों तक जीवित रहे.

Source : News Nation Bureau

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