जयंती विशेष : बाहर से सख्त लेकिन अंदर से भावुक मिसाइल मैन कलाम के बारे में जानें कुछ रोचक तथ्य

भारत के मिसाइल मैन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की आज जयंती है. कलाम साहब आज हमारे बीच नहीं है लेकिन वो हमारे दिलों में जिंदा है.

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nitu pandey
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जयंती विशेष : बाहर से सख्त लेकिन अंदर से भावुक मिसाइल मैन कलाम के बारे में जानें कुछ रोचक तथ्य

एपीजे अब्दुल कलाम

भारत के मिसाइल मैन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की आज जयंती है. कलाम साहब आज हमारे बीच नहीं है लेकिन वो हमारे दिलों में हमेशा के लिए जिंदा है. कलाम को जनता का राष्ट्रपति कहा जाता था, क्योंकि उनके दरवाजे हर वक्त जनता के लिए खुला रहता था. आइए कलाम साहब के जन्मदिन पर उन्हें एक बार फिर से याद करते हुए कुछ रोचक तथ्य जानते हैं-

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एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ था. उनका पूरा नाम अवुल पकिर जैनुलाअबदीन अब्दुल कलाम था. कलाम साहब सभी धर्मों से बेहद प्यार करते थे. तभी तो कुरान के साथ वो भगवद् गीता का भी अध्ययन करते थे.

बहुत कम ही लोग जानते हैं कि तेज दिमाग वाले कलाम बहुद ही भावुक थे. बच्चों से उन्हें बेहद लगाव था. कलाम भारत के ऐसे वैज्ञानिक थे, जिन्हें 40 विश्वविद्यालयों और संस्थानों से डॉक्टरेट की मानद उपाधि मिल चुकी थी.

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कलाम 1962 में 'भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन' का हिस्सा बने थे. डॉक्टर अब्दुल कलाम को प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह (एसएलवी तृतीय) प्रक्षेपास्त्र बनाने का श्रेय हासिल हुआ.1980 में इन्होंने रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के निकट स्थापित किया था, जिसके बाद ही भारत भी अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बन गया. इसरो लॉन्च व्हीकल प्रोग्राम को परवान चढ़ाने का श्रेय भी इन्हें दिया जाता है. डॉक्टर कलाम ने स्वदेशी लक्ष्य भेदी (गाइडेड मिसाइल्स) को भी डिजाइन किया.
ऐपीजे अब्दुल कलाम एक राइटर भी थे. उन्होंने कई किताबें भी लिखी थी. उन्होंने अपने शोध को चार उत्कृष्ट पुस्तकों में समाहित किया, इन पुस्तकों के नाम है 'विंग्स ऑफ़ फायर', 'इण्डिया 2020- ए विज़न फॉर द न्यू मिलेनियम', 'माई जर्नी' तथा 'इग्नाटिड माइंड्स- अनलीशिंग द पॉवर विदिन इंडिया'। इन पुस्तकों का कई भारतीय तथा विदेशी भाषाओं में अनुवाद हो चुका है.

भारत रत्न से 1997 में सम्मानित कलाम भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे. 1982 में वे भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान में वापस निदेशक के तौर पर आए और उन्होंने अपना सारा ध्यान 'गाइडेड मिसाइल' के विकास पर केन्द्रित किया. इसके बाद जुलाई 1992 में वे भारतीय रक्षा मंत्रालय में वैज्ञानिक सलाहकार नियुक्त हुए.
कलाम की देखरेख में भारत ने 1998 में पोखरण में अपना दूसरा सफल परमाणु परीक्षण किया और परमाणु शक्ति से संपन्न राष्ट्रों की सूची में शामिल हुआ.
कलाम को 1989 में प्रशासकीय सेवा के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था. रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार के तौर पर उन्होंने अग्नि एवं पृथ्वी जैसी मिसाइलों को स्वदेशी तकनीक से बनाया था.

डॉक्टर कलाम जुलाई 1992 से दिसम्बर 1999 तक रक्षा मंत्री के विज्ञान सलाहकार तथा सुरक्षा शोध और विकास विभाग के सचिव थे. उन्होंने स्ट्रेटेजिक मिसाइल्स सिस्टम का उपयोग आग्नेयास्त्रों के रूप में किया. अब्दुल कलाम को भारतीय गणतंत्र के ग्यारहवें निर्वाचित राष्ट्रपति थे.

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Source : News Nation Bureau

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