/newsnation/media/post_attachments/images/2019/02/24/pm-narendra-modi-harayana-13-5-31.jpg)
पीएम नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में भगवान बिरसा मुंडा और जमशेदजी टाटा का जिक्र करते हुए कहा, ये दोनों व्यक्तित्व पूरी तरह से दो अलग-अलग पारिवारिक पृष्ठभूमि से हैं, जिन्होंने झारखण्ड की विरासत और इतिहास को समृद्ध किया. मन की बात में बिरसा मुंडा और जमशेदजी टाटा को श्रद्धांजलि देने का एक प्रकार से झारखण्ड के गौरवशाली इतिहास और विरासत को नमन करने जैसा है. इन दो महान विभूतियों ने झारखण्ड का नहीं पूरे देश का नाम बढ़ाया है. पूरा देश उनके योगदान के लिए कृतज्ञ है. आज अगर हमारे नौजवानों को मार्गदर्शन के लिए किसी प्रेरणादायी व्यक्तित्व की जरूरत है तो वह है भगवान बिरसा मुंडा.
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, जमशेदजी टाटा और स्वामी विवेकानंद जी की मुलाकात अमेरिकी यात्रा के दौरान हुई थी. तब दोनों की चर्चा में एक महत्वपूर्ण topic भारत में science और technology के प्रचार-प्रसार से जुड़ा हुआ था. कहते हैं इसी चर्चा से Indian Institute of Science की नींव पड़ी थी. पीएम ने कहा कि जमशेदजी टाटा सही मायने में एक दूरदृष्टा थे, जिन्होंने न केवल भारत के भविष्य को देखा, बल्कि उसकी मजबूत नींव भी रखी. वे भली-भांति जानते थे कि भारत को साइंस, टेक्नोलॉजी और इंडस्ट्री का हब बनाना भविष्य के लिए आवश्यक है. ये उनका ही विजन था, जिसके परिणामस्वरूप Tata Institute of Science की स्थापना हुई, जिसे अब इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस कहा जाता है. यही नहीं उन्होंने टाटा स्टील जैसे कई विश्वस्तरीय संस्थानों को और उद्योगों की भी स्थापना की.
पीएम ने आगे कहा, भगवान बिरसा मुंडा ने 25 वर्ष की अल्प आयु में ही अपना बलिदान दे दिया. बिरसा मुंडा जैसे भारत मां के सपूत देश के हर भाग में हुए हैं. शायद हिंदुस्तान का कोई कोना ऐसा होगा कि सदियों तक चली हुई आजादी की इस जंग में किसी ने योगदान न दिया हो. लेकिन दुर्भाग्य यह है कि इनके त्याग, शौर्य और बलिदान की कहानियां नई पीढ़ी तक पहुंची ही नहीं. अगर, भगवान बिरसा मुंडा जैसे व्यक्तित्व ने हमें अपने अस्तित्व का बोध कराया तो जमशेदजी टाटा जैसी शख्सियत ने देश को बड़े-बड़े संस्थान दिए.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, भगवान बिरसा मुंडा ने अंग्रेजों से न केवल राजनीतिक आजादी के लिए संघर्ष किया, बल्कि आदिवासियों के सामाजिक और आर्थिक अधिकारों के लिए भी लड़ाई लड़ी. अपने छोटे से जीवन में उन्होंने ये सब कर दिखाया. वंचितों और शोषितों के अंधेरे से भरे जीवन में सूरज की तरह चमक बिखेरी. भगवान ‘बिरसा मुंडा’ ने सिर्फ अपने पारंपरिक तीर-कमान से ही बंदूकों और तोपों से लैस अंग्रेजी शासन को हिलाकर रख दिया था. दरअसल, जब लोगों को एक प्रेरणादायी नेतृत्व मिलता है तो फिर हथियारों की शक्ति पर लोगों की सामूहिक इच्छाशक्ति भारी पड़ती है.
पीएम ने कहा कि अंग्रेजों ने छिप कर बड़ी ही चालाकी से उन्हें उस वक़्त पकड़ा था जब वे सो रहे थे. क्या आप जानते हैं कि उन्होंने ऐसी कायरतापूर्ण कार्यवाही का सहारा क्यों लिया? क्योंकि इतना बड़ा साम्राज्य खड़ा करने वाले अंग्रेज भी उनसे भयभीत रहते थे. भगवान 'बिरसा मुंडा' ने सिर्फ अपने पारंपरिक तीर-कमान से ही बंदूकों और तोपों से लैस अंग्रेजी शासन को हिलाकर रख दिया था. दरअसल, जब लोगों को एक प्रेरणादायी नेतृत्व मिलता है तो फिर हथियारों की शक्ति पर लोगों की सामूहिक इच्छाशक्ति भारी पड़ती है.
Source : News Nation Bureau