मंत्रिमंडल विस्तार से त्रिपुरा में डैमेज कंट्रोल करने में जुटी बीजेपी
मंत्रिमंडल विस्तार से त्रिपुरा में डैमेज कंट्रोल करने में जुटी बीजेपी
नई दिल्ली:
उत्तराखंड और कर्नाटक में असंतोष के कारण मुख्यमंत्रियों के बदले जाने की घटना से उत्साहित त्रिपुरा के असंतुष्ट विधायकों की मुहिम परवान नहीं चढ़ सकी है। बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने मुख्यमंत्री बिप्लब देब में भरोसा जताया है। हालांकि, पार्टी असंतुष्ट धड़े को भी साधने की कोशिश के तहत आज सायं साढ़े तीन बजे मंत्रिमंडल विस्तार करने जा रही है। माना जा रहा है कि इसमें नाराज चल रहे विधायकों को मौका मिल सकता है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, भाजपा से तीन विधायकों को तो मंत्री बनने का मौका मिल सकता है, वहीं एक सीट सहयोगी दल आईपीएफटी को मिल सकती है।सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री बिप्लब देव से असंतुष्ट पार्टी के आधे दर्जन विधायकों की गोलबंदी और बैठक की खबरों ने दिल्ली तक हलचल मचा दिया। यूं तो विधायकों का एक धड़ा पिछले एक साल से मुख्यमंत्री के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है और दिल्ली में पिछले साल डेरा डालकर पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी शिकायत कर चुका है। हालांकि, पार्टी ने मुख्यमंत्री को हटाने पर विचार नहीं किया, जिससे पार्टी विधायकों की नाराजगी बढ़ती गई। सूत्रों का कहना है कि हाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस की त्रिपुरा में बढ़ती गतिविधियां देख भाजपा सचेत है। पार्टी में आंतरिक असंतोष का कहीं टीएमसी और लेफ्ट के स्तर से फायदा न उठा लिया जाए, इसको लेकर पार्टी डैमेज कंट्रोल करने में जुटी है।
भाजपा ने डैमेज कंट्रोल के लिए राज्य के प्रभारी और नेशनल सेक्रेटरी विनोद सोनकर, राष्ट्रीय महासचिव दिलीप सैकिया के नेतृत्व में दिल्ली से टीम भेजी। यह टीम संगठन और सरकार में शामिल नेताओं से बैठक कर उनके विचार जानने में जुटी है।
सूत्रों का कहना है कि दिल्ली से केंद्रीय नेतृत्व के निर्देश पर राजनीतिक हालात का जायजा भांपने के लिए पहुंची यह टीम असंतुष्ट पांचों विधायकों- सुदीप रॉय बर्मन, आशीष कुमार साहा, दीबा चंद्र हरंगखाल, आशीष दास और बरबा मोहन से मिलकर मुद्दों को सुलझाने पर फोकस कर रही है।
त्रिपुरा के घटनाक्रम पर नजर रखने वाले भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने आईएएनएस से कहा, 2023 में राज्य में विधानसभा चुनाव हैं। पार्टी चुनाव तक किसी तरह की अनहोनी नहीं चाहती है। आज संभावित मंत्रिमंडल विस्तार में नाराज नेताओं को जगह दी जा सकती है। 60 सदस्यीय विधानसभा में हमारे पास 36 विधायक हैं। इंडिजिनस पीपल फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) के आठ विधायक भी बिब्लब देव का समर्थन कर रहे हैं। सरकार पर कहीं कोई खतरा नहीं है।
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