बॉर्डर पर महिलाओं को भूमिका को लेकर नए आर्मी प्रमुख बिपिन रावत ने कहा है कि 'सीमावर्ती मुकाबले की भूमिका के बारे में महिलाओं को खुद निर्णय करना है कि क्या वो अतिरिक्त और अन्य सुविधाओं के साथ बॉर्डर पर सेवाएं देने के लिए तैयार हैं या नहीं।'
उन्होंने साफ किया बॉर्डर पर टैंक के बाहर जब जवान जाते हैं तो वहीं खाना बनाते हैं और वहीं टैंक के अंदर सोते है। ध्यान देने वाली बात यह है कि महिलाएं सेना में लड़ाकू की भूमिका में शामिल हैं लेकिन फ्रंटलाइन सीमाक्षेत्रों पर इनकी तैनाती नहीं होती है।
जनरल रावत ने ज़ोर देते हुए कहा कि, 'वहां टॉयलेट्स जैसी मूलभूत सुविधाएं भी नहीं होती। सभी जवान टैंक के अंदर ही सोते हैं अगर महिला दस्ता इन स्थितियों से जूझ आगे बढ़कर काम करने के लिए तैयार हैं तो यह निर्णय उन्हें खुद लेना होगा।'
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उन्होंने कहा कि अगर महिला दस्ता इन स्थितियों में काम करने की हिम्मत रखता है तो फिर अपना निर्णय बताएं तब हम इस फैसले पर गौर करेंगे। उन्होंने कहा कि,'आपको समाज को एक स्तर पर देखना होगा। अगर महिलाएं सीमावर्ती क्षेत्रों में तैनाती के लिए तैयार हैं बिना अतिरिक्त सुविधाओं के तो फिर उन्हें ठीक वैसे ही काम करना होगा जैसे पुरुष साथी करते हैं।' जनरल रावत ने यह बातें आर्मी प्रमुख के रुप में अपनी पहली सालाना कॉफ्रेंस के दौरान कहीं।
फिलहाल सेना में महिलाएं इंजीनियर्स और सिग्नल क्षेत्र में शामिल किया गया है और इन्हें वे पैदल सेना, बख्तरबंद कोर और मैकेनाइज्ड इंफेंट्री के बाहर रखा गया है। हालांकि इंडियन एयर फोर्स ने महिलाओं को लड़ाकू दस्ते में शामिल किया है लेकिन इनकी आगे तैनाती की संभावना नहीं के ही बराबर है।
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Source : News Nation Bureau