पश्चिम बंगाल विधानसभा में राज्य के विश्वविद्यालयों का चांसलर (कुलाधिपति) राज्यपाल के बदले मुख्यमंत्री को बनाने वाला विधेयक सोमवार दोपहर यहां पारित हो गया। विधेयक के पक्ष में 183 और विपक्ष में 40 मत पड़े।
हालांकि, सोमवार को केवल राज्य शिक्षा विभाग के तहत आने वाले विश्वविद्यालयों से संबंधित एक विधेयक पारित किया गया। पश्चिम बंगाल विधानसभा के मानसून सत्र में स्वास्थ्य, कृषि, पशुपालन और मत्स्य पालन जैसे अन्य विभागों के तहत आने वाले विश्वविद्यालयों के लिए कुलाधिपति के रूप में राज्यपाल के बजाय मुख्यमंत्री को प्रतिस्थापन किए जाने का विधेयक भी पारित किया जाएगा।
विधेयकों को बाद में राज्यपाल जगदीप धनखड़ की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने कहा कि अगर राज्यपाल मंजूरी देने से इनकार कर देते हैं, तब राज्य सरकार एक अध्यादेश पारित कर विधेयकों को लागू करेगी।
पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री अपने संकीर्ण राजनीतिक हितों को पूरा करने के लिए इस मुद्दे को जबरदस्ती उठा रही हैं।
उन्होंने कहा, लेकिन हम इसका विरोध जारी रखेंगे। मैं राज्यपाल से केंद्र सरकार को बिल भेजने का अनुरोध करूंगा, क्योंकि शिक्षा समवर्ती सूची में है। जिस तरह राज्य सरकार पश्चिम बंगाल का नाम बदलकर बंगाल नहीं कर पाई और इसके लिए विधेयक पेश नहीं कर सकी, इसी तरह मुख्यमंत्री का यह सपना कभी पूरा नहीं होगा।
न केवल पश्चिम बंगाल में विपक्षी दलों ने, बल्कि शिक्षाविदों और बुद्धिजीवियों के एक बड़े वर्ग ने भी राज्यपाल के बदले मुख्यमंत्री को राज्य के विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति बनाने के फैसले का विरोध किया है। इसके बजाय, उन्होंने प्रस्ताव दिया है कि प्रतिष्ठित शिक्षाविदों को विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति नियुक्त किया जाए।
डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.
Source : IANS