माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स (Bill Gates) ने सोमवार को कहा कि बेहतर सांख्यिकीय सूचनाएं तथा नवोन्मेषी उपायों से कृषि क्षेत्र पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम किया जा सकता है.उन्होंने कृषि-सांख्यिकी पर 8वें वैश्विक सम्मेलन में यहां कहा कि छोटे किसानों पर आने वाले समय में जलवायु परिवर्तन का असर बढ़ेगा.ऐसे में कृषि क्षेत्र में निजी क्षेत्र के लिये अवसर बढ़ेंगे तथा वे उपज बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.गेट्स ने कहा, ‘‘ऐसे समय में जब हमें उत्पादन बढ़ाना है, जलवायु परिवर्तन इसे मुश्किल बना रहा है.
बदलता मौसम किस तरह से हमारे फसलों और उत्पादकता को प्रभावित करता है, इसे समझने के लिये नये उपायों के इस्तेमाल के साथ कृषि-सांख्यिकी में सर्वश्रेष्ठ कार्यों की जरूरत है.’’ उन्होंने भारत के मृदा स्वास्थ्य कार्ड का जिक्र करते हुए कहा कि मृदा की गुणवत्ता के आंकड़ों से किसानों को यह तय करने में मदद मिलेगी कि किस उर्वरक का इस्तेमाल करें.अभी मौजूदा आंकड़ों के साथ अतिरिक्त आंकड़े जोड़ने तथा विस्तार से मृदा मानचित्रण के अवसर हैं.
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उन्होंने कहा, ‘‘बेहतर मृदा, बेहतर सूचनाएं और बेहतर सांख्यिकी जलवायु परिवर्तन के नुकसान को कम करने में मदद करेगी.’’ गेट्स ने कहा कि जलवायु परिवर्तन का मुद्दा जटिल है.बीजों की नयी किस्म का विकास तथा किसानों के बीच उनके वितरण समेत विभिन्न प्रकार के दखल की जरूरत है.उन्होंने कहा कि दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन से छोटे किसान सर्वाधिक प्रभावित होते हैं.ये किसान बहुत गरीब हैं और उनके बच्चे कुपोषित हैं.
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उन्होंने कहा कि यह भारत में एक मुद्दा है.उन्होंने कहा, ‘‘एक मौसम का सूखा या बाढ़ इन परिवारों की सारी बचत बर्बाद करने के लिये काफी है.आने वाले समय में सूखा और बाढ़ दोनों की आवृत्ति बदलने वाली है.जलवायु परिवर्तन का असर बढ़ेगा.’’ कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कहा, ‘‘भारत कृषि केंद्रित अर्थव्यवस्था है.सरकार को नीति अनाने के लिये आंकड़ों की जरूरत होती है.’’ उन्होंने कहा कि भारत में सांख्यिकी का विषय ऐतिहासिक है.मौर्य साम्राज्य के दौरान कौटिल्य के सिद्धांतों में इस बात का विस्तार से वर्णन है कि कृषि, जनसंख्या तथा आर्थिक गणना से संबंधित जानकारियां किस तरह से जुटायी जायें.