Advertisment

Bilkis Bano: अपने दोषियों की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची बिल्किस बानो

बिल्किस बानों का कहना है कि अपराधियों ने क्रूरता की सभी हदें पार कर दी थी. उन्होंने मेरे परिवार के 7 लोगों की जान ले ली और उन्हें छोड़ दिया गया. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में इस आधार पर पुनर्विचार याचिका लगाई है कि सुप्रीम कोर्ट उन सभी के कारनामों...

author-image
Shravan Shukla
एडिट
New Update
Bilkis Bano approaches Supreme Court1

Bilkis Bano approaches Supreme Court( Photo Credit : File)

Advertisment

Bilkis Bano Approached the Supreme Court: गुजरात के बहुचर्चित दंगों के समय गैंगरेप का शिकार बनी बिल्किस बानो अब सुप्रीम कोर्ट पहुंची हैं. उन्होंने गैंगरेप और अपनी 3 साल की बेटी को उनके ही सामने मार डालने वालों की रिहाई के खिलाफ अपील की है. बिल्किस बानो ने अपने 11 अपराधियों की रिहाई का विरोध किया है, जिन्हें कोर्ट में अपराधी ठहराया जा चुका है और जो सालों की जेल की सजा भी भुगत चुके हैं. बिल्किस बानों का कहना है कि अपराधियों ने क्रूरता की सभी हदें पार कर दी थी. उन्होंने मेरे परिवार के 7 लोगों की जान ले ली और उन्हें छोड़ दिया गया. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में इस आधार पर पुनर्विचार याचिका लगाई है कि सुप्रीम कोर्ट उन सभी के कारनामों पर फिर से विचार करे और उनकी रिहाई का फैसला कैंसिल कर उन्हें सलाखों के पीछे भेजे. 

सीजेआई करेंगे याचिका पर फैसला

ये मामला सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अदालत में दायर हुआ है. इसी मामले से जुड़ी एक अन्य याचिका भी उनके पास मौजूद है. अब वो ये तय करेंगे कि दोनों मामलों की सुनवाई एक साथ हो या अलग-अलग. बता दें कि बिल्किस बानो के दोषियों में से एक राधेश्याम शाह को 15 अगस्त को गुजरात सरकार ने जेल से रिहा कर दिया था. शाह को मुंबई में साल 2008 में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. वो 15 साल 4 महीने जेल में रहा था. उसी आधार पर बाकी अपराधियों को बार में रिहा कर दिया गया. इस बारे में सुप्रीम कोर्ट ने भी रिहाई का आदेश दिया था. और राधेश्याम शाह के फैसले को ही अन्य पर लागू किया था. बता दें कि संविधान के आर्टिकल 72 और 161 के तहत राष्ट्रपति और राज्यपाल के पास विशेष शक्तियां होती हैं, जिसमें वो राज्य सरकार की सिफारिश पर किसी की सजा कम या खत्म कर सकते हैं.

सरकार की तरफ से आई थी ये सफाई

वहीं, इसी मामले में गुजरात सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह मंत्रालय) राज कुमार ने भी बयान दिया था. उन्होंने बताया कि 14 साल जेल की सजा सभी अपराधी काट चुके थे. इसके बाद ही सजा माफी, या जमानत याचिका के बारे में अपील की जा सकती है. इन सब में अपराधियों के चाल चलन की भी रिपोर्ट दर्ज होती है. जिन भी अपराधियों को रिहा किया गया है, वो कानून के तहत ही हुआ है. और वो उम्रकैद की सजा के मामले में कम से कम 14 साल की सजा पूरी कर चुके हैं.

ये था पूरा मामला

बता दं कि 3 मार्च 2002 को बड़ी भीड़ ने बिल्किस बानो का गैंगरेप किया था और उनकी 3 साल की बेटी समेत 14 लोगों की हत्या कर दी थी. ये जघन्य अपराध दाहोद जिले के लिमखेड़ा तालुका में अंजाम दिया गया था. वारदात के समय बिल्किस बानो गर्भवती भी थी. इस मामले में 11 अपराधियों को जेल से रिहा कर दिया गया है. उनके नाम जसवंत नाई, गोविंद नाई, शैलेश भट्ट, राधेश्याम शाह, बिपिन चंद्र जोशी, केसरभाई वोहनिया, प्रदीप मोढ़िया, बकाभाई वोहनिया, राजूभाई सोनी, मितेश भट्ट और रमेश चंदना हैं.

HIGHLIGHTS

  • सुप्रीम कोर्ट पहुंची बिल्किस बानो
  • अपने अपराधियों की रिहाई का किया विरोध
  • सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की पुनर्विचार याचिका
बिल्किस बानो Bilkis Bano case सुप्रीम कोर्ट bilkis bano
Advertisment
Advertisment
Advertisment