बिलकिस बानो मामले में 11 दोषियों की रिहाई को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई होगी. रिहाई का विरोध करते हुए बिलकिस बानो की वकील ने कहा, वो सदमे से उबर भी नहीं पाई हैं और दोषियों को रिहा कर दिया गया. सुप्रीम कोर्ट ने भी समय से पहले रिहाई पर सवाल खड़े किए थे. सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि हम सजा में छूट की अवधारणा के खिलाफ नहीं हैं, क्योंकि कानून में इसे अच्छी तरह से स्वीकार किया गया है. मगर ये स्पष्ट होना चाहिए कि ये दोषी कैसे माफी के योग्य बन गए.
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आपको बता दें कि 27 फरवरी 2002 को गुजरात के गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस के कोच को आग के हवाले कर दिया गया था. इस कोच में कारसेवक अयोध्या से वापस आ रहे थे. इस भीषण हमले में कोच में मौजूद 59 कारसेवकों की जलकर मौत हो गई. इसके बाद से गुजरात में दंगे भड़क गए थे.
दंगों से बचने के लिए बिलकिस बानो ने अपनी बच्ची और परिवार के साथ गांव छोड़ दिया था. बिलकिस बानो और उनका परिवार जिधर छिपा हुआ था, वहां 3 मार्च 2002 को 20-30 लोगों की भीड़ ने हमला कर दिया. हमलावर तलवार और लाठियां लिए हुए थे. इस बीच भीड़ ने बिलकिस बानो के साथ बलात्कार किया. उस वक्त बिलकिस 5 माह की गर्भवती थीं. इसके बाद उनके परिवार के 7 सदस्यों को मार डाला गया. परिवार के छह 6 सदस्य यहां से भाग निकले थे.
क्या है पूरा मामला
इस मामले में 11 लोगों को सीबीआई कोर्ट ने दोषी ठहराया था. इसके साथ उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई. इनमें से एक दोषी ने गुजरात हाईकोर्ट में अपील दायर की. उसने रिमिशन पॉलिसी के तहत रिहाई की मांग की थी. गुजरात हाईकोर्ट ने इस अपील को खारिज कर दिया. इसके बाद दोषी गुजरात हाईकोर्ट के निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. सुप्रीम कोर्ट ने मई 2022 में कहा कि इस मामले में गुजरात सरकार निर्णय लेगी. अदालत के फैसले पर गुजरात सरकार ने रिहाई पर निर्णय लेने के लिए कमेटी बनाई. कमेटी की सिफारिश को लेकर गुजरात सरकार ने सभी 11 दोषियों को रिहा करने का निर्णय लिया. इसका जमकर विरोध हुआ. तब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा.
Source : News Nation Bureau