बिहार में स्थानीय प्राधिकार कोटे से होने जा रहे विधान परिषद चुनाव में सीटों को लेकर विपक्षी दलों के महागठबंधन और सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में तकरार है, जिससे दोनों गठबंधनों के सहयोगी दल भड़क गए हैं।
इससे उन प्रत्याशियों की बांझें खिली हुई हैं, जो चुनाव लड़ने का ख्वाब तो पाले हुए हैं, लेकिन टिकट मिलने की संभावना क्षीण दिखाई दे रही है।
ऐसे उम्मीदवार अब महागठबंधन में सहयोगी दल कांग्रेस और राजग से नाखुश विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) की तरफ नजर गड़ाए हुए हैं। ये उम्मीदवार अब इन दलों के नेताओं और कार्यालयों का चक्कर लगा रहे हैं।
इन प्रत्याशियों में कई ऐसे प्रत्याशी भी हैं जो अन्य दलों में भी प्रभावशाली हैं तथा अपने क्षेत्र में भी अच्छी पकड़ है, लेकिन टिकट कटता नजर आ रहा है। ऐसे में ये प्रत्याशी नए पार्टी में प्रवेश के लिए दरवाजा भी खटखटा रहे हैं। हालांकि, ऐसे नेताओं की शर्त टिकट ही है।
उल्लेखनीय है कि विधान परिषद की 24 सीटों पर होने वाले चुनाव को लेकर राजद से बात नहीं बन पाने के कारण कांग्रेस ने सभी सीटों पर तथा राजग में वीआईपी ने सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है।
इधर, जदयू 11 सीटों पर जबकि भाजपा 12 और राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी एक सीट पर उम्मीदवार उतारने के लिए तैयारी कर रही है।
ऐसे में तय है कि ये दोनों दल निराश उम्मीदवारों के लिए दरवाजा खोल दिया है। वैसे, अभी तक प्रत्याशियों की घोषणा नहीं होने के कारण स्थिति अभी पूरे तौर पर साफ नहीं हुई है।
कई ऐसी सीटें भी हैं जिसमे भाजपा के नेता तैयारी की थी लेकिन यह सीट जदयू के कोटे में चली गई है। कई ऐसी सीटें भी हैं जो भाजपा के कोटे में चली गई हैं।
कहा जा रहा है कि सिवान, गया, दरभंगा, समस्तीपुर, मधुबनी, सारण और चंपारण जैसे क्षेत्रों में अपने मूल दलों से निराश हुए लोगों की संख्या अच्छी है। ऐसे में माना जा रहा है कि वीआईपी और कांग्रेस को प्रत्याशियों के तलाश के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी।
इधर, कांग्रेस और वीआईपी के वरिष्ठ नेताओं का दावा है कि प्रत्याशी को लेकर आवेदन भी आ रहे हैं।
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Source : IANS