बिहार की राजधानी में तीन दिसंबर को एक ऐसी शादी होने वाली है, जिसमें न बैंड बजेगा और न ही मेहमानों और बारातियों का स्वागत किया जाएगा। मेहमानों को खाने और नाश्ते के बजाय भगवान का भोग लगाया हुआ 'प्रसाद' दिया जाएगा। इस अनोखे विवाह के लिए लोगों को निमंत्रण ई-मेल और वाट्सएप से भेजे जा रहे हैं।
बिहार के उपमुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता सुशील कुमार मोदी (सुमो) अपने पुत्र उत्कर्ष की शादी इसी अनोखे ढंग से करने वाले हैं। उनका कहना है कि दहेज न लेकर और सादगी से शादी कर वो एक उदाहरण समाज को पेश करना चाह रहे हैं।
बीजेपी नेता मोदी के पुत्र के इस विवाह में न केवल राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दहेज विरोधी अभियान की झलक मिलेगी, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'डिजिटल इंडिया' का भी समावेश दिखाई देगा।
सुशील मोदी कहते हैं, 'राज्य सरकार दहेज लेने के लिए लोगों को मना कर रही है, ऐसे में मैंने भी बेटे की शादी में दहेज लेने से मना कर दिया है।'
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लोगों को भेजे जा रहे निमंत्रण पत्र में भी इसकी घोषणा की गई है कि इस विवाह में किसी प्रकार का दहेज नहीं लिया जा रहा है। इस संबंध में पूछे जाने पर मोदी ने आईएएनएस से कहा, 'यह मेरे द्वारा की गई घोषणा है। यह बात सार्वजनिक होनी चाहिए।'
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी को भी सोशल मीडिया के जरिए ही शादी का कार्ड भेजा गया।
बेंगलुरू की एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने वाले उत्कर्ष का विवाह कोलकाता की एक लड़की (चार्टर्ड अकाउंटेंट) से तय हुई है।
पटना के राजेंद्र नगर के शाखा मैदान में आयोजित होने वाला यह वैवाहिक कार्यक्रम तीन दिसंबर को दिन में ही आयोजित होगा। मैदान में 1500 कुर्सियां लगाई जाएंगी। इस विवाह में आने वाले लोगों को खाने के लिए सिर्फ 'प्रसाद' मिलेगा।
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इस विवाह समारोह में कई गणमान्य लोगों के भाग लेने की संभावना है। सुशील मोदी का कहना है कि यह शादी बिल्कुल साधारण तरीके से होगी। ना तो इस शादी में नाच गाना होगा और ना ही बैंड बाजे इस्तेमाल किया जाएगा।
सुशील मोदी ने आईएएनएस से कहा, 'मेरी भी जब शादी हुई थी तो साधारण तरीके से हुई थी और अब हमारे बेटे की शादी होगी तो वो भी साधारण तरीके से होगी।'
इस विवाह में बारातियों का स्वागत समारोह भी नहीं होगा। उन्होंने आमलोगों से भी विवाह में फिजूलखर्ची से बचने की सलाह दी।
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Source : IANS