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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और कर्नाटक से आई टीम के सदस्य
बिहार में अप्रैल 2016 से शराबबंदी लागू है1 बिहार की इस सफलता को देख कर्नाटक की 31 सदस्यी टीम बिहार आयी है। यह टीम इस मॉडल का अध्ययन करना चाहती हैं। टीम के सदस्यों ने कहा कि यह एक साहसिक कदम है। बिहार जैसे बड़े राज्य में शराब बन्द करना मामूली बात नहीं है।
गौरतलब है कि शराबबंदी को तब की महागठबंधन सरकार ने अप्रैल में बिहार के ग्रामीण इलाकों में लागू किया था। लोगों की मांग पर और इसके बेहतर परिणाम को देखते हुये 4 अप्रैल को इसे शहरी इलाकों में लागू कर दियी गया था।
इसके बाद से बिहार में शराब पीना,रखना,बेचना सब कुछ कानूनी अपराध है। इसको लेकर एक विशेष कानून भी बनाया गया है।
इस दौरान कर्नाटक के टेम्परेन्स बोर्ड के अध्यक्ष एचसी रुद्रप्पा के नेतृत्व में इस टीम ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उनके सरकारी आवास पर मुलाकात भी की।
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मुख्यमंत्री ने उन्हें बताया की राज्य के खजाने में भले ही 5000 करोड़ का नुकसान हुआ हो पर बिहार के लोग जो 10,000 करोड़ रू शराब में गंवा रहे थे, अब वो बच रहा है। इससे लोगों के रहन सहन और सामाजिक स्तर में बदलाव आया है।
आपको बता दें कि इस कानून के तहत अब तक शराबबंदी के जरिए कई बड़ी कार्रवाईयां हुई है। 25 अप्रैल 2016 से 26 अक्टूबर 2017 तक कुल 41,314 कांड दर्ज हुये हैं। इसमें जब्त देशी शराब - 7,29,494 लीटर, जब्त विदेशी शराब - 8,69,351 लीटर, नष्ट की गई शराब - 5,35,746 लीटर, जब्त दो पहिया वाहन-4433, 815 दो पहिया होंगे नीलाम, जब्त चार पहिया वाहन-2672, 438 -चार पहिया की होगी नीलामी, जब्त जमीन और भवन-930, 110 भवन भूखण्ड होंगे नीलाम और 58,379 गिरफ्तारी हुई है।
कर्नाटक से आई यह टीम गया के दो पंचायतों का भ्रमण भी करेगी। इस टीम को बिहार के मद्द निषेध, उत्पाद एवम निबंधन विभाग ने प्रजेंटेशन भी दिया है।
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Source : Rajnish Sinha