रांची : लालू यादव की तबियत बिगड़ी, इलाज के लिए फिर से भेजा जा सकता है बाहर
बिहार के चर्चित चारा घोटाला मामले में सजा काट रहे राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की सेहत लगातार खराब हो रही है.
रांची:
बिहार के चर्चित चारा घोटाला मामले में सजा काट रहे राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की सेहत लगातार खराब हो रही है. रांची के राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) रांची में इलाज के लिए भर्ती लालू यादव शुगर, ब्लड प्रेशर और हार्ट की समस्याओं से ग्रस्त हैं. उनका क्रिएटिन लेवल 1.5 से बढ़कर 1.85 हो गया है जिसके कारण उनकी किडनी पर असर पर पड़ रहा है. डॉक्टरों का कहना है कि उनका किडनी पहले की तुलना में कम काम कर रहा है और उनका चेहरा सूज गया है.
रांची में बिरसा मुंडा जेल में 14 साल की सजा काट रहे लालू यादव का तबियत पिछले कई महीनों से खराब है जिसके कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था. रिम्स में उनका इलाज कर रहे डॉ उमेश प्रसाद ने कहा कि बीते 4-5 दिनों में लालू प्रसाद की तबियत ज्यादा बिगड़ी है.
उन्होंने कहा, 'पहले की तुलना में उनकी सेहत अधिक खराब हो गई है जिसके कारण उन्हें बेहतर इलाज के लिए दोबारा बाहर भेजे जाने पर विचार किया जा रहा है. 1-2 दिनों में डॉक्टर की टीम इसका फैसला कर सकती है.'
आरजेडी विधायक रेखा देवी ने रिम्स में लालू प्रसाद से मुलाकात के बाद कहा, 'लालू जी की तबीयत बहुत ज्यादा बिगड़ गई है, वह न तो बैठ सकते हैं और न खड़े हो सकते हैं. उनका ब्लड शुगर लेवल बढ़ गया है. हम मांग करते हैं कि उन्हें ऐसे जगह पर ले जाया जाय, जहां उनका बेहतर इलाज हो सके.'
इससे पहले भी उन्हें मुंबई के एशियन हार्ट इंस्टीट्यूट में भर्ती कराया जा चुका है. जून में जमानत मिलने के बाद लालू यादव की तबियत खराब हुई थी, उस दौरान पाया गया था कि उनका शुगर लेवल बढ़ा हुआ है. इसके बाद लालू प्रसाद को पटना के आईजीआइएमएस (इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान) में भर्ती कराने का निर्णय लिया गया था. बाद में उन्हें दिल्ली के एम्स में अस्पताल में भी भर्ती कराया गया था.
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इस साल जनवरी और मार्च में उन्हें चारा घोटाला के दो मामलों में दोषी पाया गया था और 14 साल के कारावास की सजा सुनाई गई थी. साल 2013 में लालू को पहले चारा घोटाले के मामले में दोषी पाया गया था और पांच साल जेल की सजा सुनाई गई थी.
लालू यादव 1990 के दशक में जब बिहार के मुख्यमंत्री थे, उस समय करोड़ों रुपये का चारा घोटाला सुर्खियों में रहा था. पटना उच्च न्यायालय के निर्देश पर मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी.
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