सरकार पर दबाव बनाने का संदेश सार्थक, बंद शांतिपूर्ण और सफल रहा : भाकपा
सरकार पर दबाव बनाने का संदेश सार्थक, बंद शांतिपूर्ण और सफल रहा : भाकपा
नई दिल्ली:
आम आदमी पार्टी और वामपंथी पार्टियों ने तीन कृषि कानूनों के विरोध में संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा आयोजित भारत-बंद को सफल करार दिया है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) ने कहा कि बंद शांतिपूर्ण रहा और किसानों का स्पष्ट संदेश था कि इसका नुकसान केंद्र सरकार को उठाना पड़ेगा।भाकपा महासचिव अतुल अंजान ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, केंद्र की मोदी सरकार को अपनी नीतियों की वजह से बहुत नुकसान उठाना पड़ेगा। किसान बहुत बहादुरी से दिल्ली-एनसीआर की सीमा पर खुले-आसमान के नीचे डटे हुए हैं और उन्हें सोमवार को देशभर के सभी राजनीतिक दलों का समर्थन भी मिला। चाहे वो राष्ट्रीय दल हों या राज्य स्तर के, सबने अपने-अपने तरीके से नैतिक समर्थन दिया। पिछले 10 महीनों में 700 से ज्यादा किसानों की जान चली गई। अब सरकार को जाग जाना चाहिए।
वहीं दूसरी ओर, आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को कहा, आज शहीद-ए-आजम भगत सिंह की जयंती के अवसर पर उनको याद करने के लिए हम एकत्र हुए हैं। उन्होंने देश को आजाद कराने के लिए सुप्रीम कुबार्नी दी थी। यह दुख की बात है कि भगत सिंह की जयंती पर किसानों को भारत बंद का आह्वान करना पड़ रहा है। किसानों को अपनी मांगें पूरी करावाने के लिए प्रदर्शन करते एक साल हो गया। आजाद भारत में भी अगर किसानों की नहीं सुनी जाएगी, तो फिर कहां सुनी जाएगी?
उन्होंने कहा, किसानों की जितनी भी मांगें हैं, सभी जायज हैं। शुरू से हम उनकी मांगों के पक्ष में रहे हैं। मैं केंद्र सरकार से अपील करता हूं कि जल्द से जल्द उनकी मांगें माने, ताकि अन्नदाता अपने-अपने घर जाएं और अपने काम पर लौटें। वार्ता तो बहुत हो चुकी, अब कृषि मंत्री को ऐलान कर देना चाहिए कि किसानों की मांगें मान रहे हैं।
वहीं आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने सोमवार को आईएएनएस से कहा कहा, इस प्रदर्शन से साबित हो गया कि ये आंदोलन अब बिना कानून वापस लिए खत्म नहीं होगा। सरकार और किसानों के बीच जिस गतिरोध की बात की जा रही है, ये दो घंटे में खत्म हो सकता है। बस, सरकार ये तीनों कानून वापस ले ले, क्योंकि जिस किसान के लिए कानून बनाए गए हैं, वही किसान इस कानून को नहीं अपनाना चाहते, क्योंकि उन्हें भारी नुकसान होने वाला है। विपक्ष के रूप में आम आदमी जिनता दम लगाकर किसानों का समर्थन कर सकती थी, किया।
उन्होंने कहा, लोकतंत्र का गला घोटकर, संख्याबल का गला घोटकर, संसदीय परंपराओं का गला घोटकर ये कानून पास किया गया और इसीलिए हमने इसका विरोध उस हद तक जाकर किया कि कहा जा रहा है कि संसदीय परंपराओं की अपमान हुआ।
इससे पहले, सांसद संजय सिंह ने इस मसले को लेकर किसान नेता राकेश टिकैत से मुलाकात भी की और पार्टी का समर्थन जताया।
आईएएसएस
पीटीके/एसजीके
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