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बिहार: जातीय जनगणना को लेकर राजग में मतभेद ! (लीड-1)

बिहार: जातीय जनगणना को लेकर राजग में मतभेद ! (लीड-1)

Updated on: 03 Sep 2021, 01:05 AM

पटना:

राजग में जातीय जनगणना को लेकर अब मतभेद सामने आता दिख रहा है। भाजपा के कई नेता जहां जातीय जनगणना के पक्ष में हैं वहंी कई नेता जातीय जनगणना का विरोध भी कर रहे हैं।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार सरकार द्वारा जातीय जनगणना कराने का विकल्प हमेशा खुला है।

उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि बारे में विपक्ष की तरफ से सुझाव आया है कि सभी लोगों को प्रधनमंत्री से मिलकर अपनी बात रखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि बिहार का प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री से मिल चुका है और अब जो भी करना है केंद्र पर निर्भर है। इधर, इस प्रतिनिधिमंडल में विपक्षी दलों के प्रतिनिधिमंडल के अलावे भाजपा के भी नेता शामिल थे। हालांकि भाजपा के कई नेता इसे विरोध भी कर रहे हैं।

राजनीतिक विश्लेषक और पटना के वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार कहते हैं कि ओबीसी की आबादी का सही आंकड़ा मिलने से क्षेत्रीय दलों को राजनीति का नया आधार मिल सकता है। क्षेत्रीय दल हमेशा से जातीय जनगणना की मांग करते रहे हैं। लेकिन इस मुद्दे पर केंद्र में रही कोई भी सरकार अपने हाथ नहीं जलाना चाहती है।

भाजपा के एक नेता कहते हैं कि जाति आधारित जनगणना के बाद तमाम ऐसे मुद्दे उठेंगे, जिससे देश में आपसी भाईचारा व सौहार्द बिगड़ेगा तथा शांति व्यवस्था भंग होगी।

इधर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जातीय जनगणना को जरूरी बताते हैं। उनका मानना है कि इस तरह की जनगणना से सभी जातियों को मदद मिलेगी और उनकी सही संख्या का पता चलने से उस आधार पर नीतियां बनाई जा सकेगी। पार्टी का मानना है कि इससे पता चल सकेगा कि किस इलाके में किस जाति की कितनी आबादी है। इसी आधार पर उनके कल्याण के लिए काम हो सकेगा, साथ ही सरकारी नौकरियों तथा शिक्षण संस्थानों में उन्हें उचित प्रतिनिधित्व दिए जाने का रास्ता साफ हो सकेगा।

पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने तो लोकसभा में साफ कह दिया कि जब तक जातीय जनगणना नहीं होगी, तब तक ओबीसी को पूर्ण न्याय नहीं मिल सकेगा।

जातीय जनगणना को लेकर भाजपा के उपर तनाव के संबंध में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह गलत बात है। कोई तनाव नहीं है। समाज में इससे खुशी होगी। जातीय जनगणना हो जाएगी तो समाज में सभी तबके के लोगों को संतोष होगा।

नीतीश ने कहा कि वर्ष 2011 में केंद्र सरकार की ओर से सामाजिक, आर्थिक और जाति आधारित जनगणना कराई गई थी, लेकिन उसमें कई विसंगतियां थीं, जिसके कारण उसकी रिपोर्ट जारी नहीं गई थी।

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