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जेडीयू और कांग्रेस के गठबंधन के डर से लालू ने महागठबंधन बनाया: नीतीश

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ सरकार बनाने के बाद नीतीश कुमार ने साफ किया कि उनके पास महागठबंधन से निकलने के अलावा कोई और दूसरा विकल्प नहीं था।

Updated on: 31 Jul 2017, 05:27 PM

highlights

  • नीतीश ने कहा महागठबंधन से निकलने के अलावा मेरे पास कोई विकल्प नहीं था
  • महागठबंधन टूटने के लिए नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय जनता दल को ठहराया जिम्मेदार

नई दिल्ली:

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ सरकार बनाने के बाद नीतीश कुमार ने साफ किया कि उनके पास महागठबंधन से निकलने के अलावा कोई और दूसरा विकल्प नहीं था।

बीजेपी के सहयोग से मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार मीडिया से बातचीत करते हुए कुमार ने कहा कि महागठबंधन को चलाने के दौरान मैं हर आरोप को बर्दाश्त करता रहा लेकिन भ्रष्टाचार के मामले में आरोपी होने के बावजूद राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) सुप्रीमो लालू प्रसाद ने तेजस्वी यादव को लेकर कुछ नहीं कहा।

कुमार ने कहा, 'आरजेडी के बयानों से ऐसी स्थिति बनी और हमें महागठबंधन से बाहर निकलना पड़ा।' गौरतलब है कि नीतीश कुमार 20 महीने पुरानी महागठबंधन से बाहर निकलते हुए एनडीए के साथ आ चुके हैं। महागठबंधन में जेडीयू, आरजेडी और कांग्रेस की सरकार थी।

कुमार ने कहा कि बिहार में भ्रष्टाचार के मामाले में जनता दल यूनाइटेड का हमेशा से अपना रुख रहा है। उन्होंने कहा कि बेनामी संपत्ति के मामले में जब लालू यादव और उनके परिवार के खिलाफ पहली बार केंद्रीय एजेंसी का छापा पड़ा तब आरजेडी की तरफ से ट्वीट कर यह कहा गया कि 'बीजेपी को नया साथी मुबारक।'

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कुमार ने कहा इस ट्वीट का क्या मतलब था, सब समझते थे। लेकिन राष्ट्रीय जनता दल ने पूरे मामले में कोई सफाई नहीं दी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि रेलवे के टेंडर में हेरा-फेरी की वजह से जब तत्कालीन उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के खिलाफ एफआईआर हुआ तब मैंने लालू यादव को इस पूरे मामले में जनता के बीच सफाई देने को कहा, लेकिन उन्होंने इसकी जररूत नहीं समझी।

कुमार ने कहा कि कैबिनेट की बैठक के दौरान जब तेजस्वी यादव मिले तो मैंने कहा कि उन्हें जनता के बीच जाकर अपने आरोपों पर सफाई देनी चाहिए लेकिन उन्होंने जानबूझकर इस पूरे मामले में कोई बयान नहीं दिया।

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मुख्यमंत्री ने इस बात को सिरे से खारिज कर दिया कि बिहार में महागठबंधन को तोड़ने और बीजेपी के साथ जाने का फैसला पूरी तरह से तय था। उन्होंने कहा, 'सब कुछ इतनी तेजी से हुआ, जिसकी कल्पना भी नहीं की गई थी।'

कुमार ने कहा, 'मैं अगर महागठबंधन में बना रहता तो लोग मुझसे पूछते कि भ्रष्टाचार के मामले में आपका क्या रुख है और लोगों ने यह पूछना शुरू भी कर दिया था।' 

उन्होंने कहा कि मैं यह भी जानता था कि अगर मैं बीजेपी के साथ जाने का फैसला लेता हूं तो मेरे ऊपर धर्मनिरपेक्षता का साथ छोड़ कर सांप्रदायिक ताकतों के साथ जाने का आरोप लगाता। लेकिन मुझे कोई धर्मनिरपेक्षता के बारे में सीख नहीं दे सकता।

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कुमार ने कहा, 'बिहार में जब मैं एनडीए के साथ था, तब मैंने अल्पसंख्यकों के लिए विशेष योजनाएं चलाई और यह काम मैंने एनडीए से अलग होने के बाद भी किया।' उन्होंने कहा कि बिहार में सांप्रदायिक सदभाव बनाए रखने के लिए मैंने क्या नहीं किया। यही वजह रही कि जब अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के लिए जमीन मांगी गई तो मैंने तत्काल आवंटन किया।

कुमार ने कहा, 'मैं आलोचना से परेशान नहीं होता हूं। धर्मनिरपेक्षता, समावेशी विकास और सामाजिक न्याय में मेरा यकीन है और मैं यह काम से साबित करता रहा हूं और आगे भी करुंगा।' लेकिन धर्मनिरपेक्षता की आड़ में मैं भ्रष्टाचार पर आंख नहीं मूंद सकता।

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मुख्यमंत्री ने कहा, 'जब नोटबंदी का फैसला लिया गया तो मैंने मोदी जी से कहा कि अब केंद्र को बेनामी संपत्ति पर वार करना चाहिए। जब केंद्र ने इस मामले में कार्रवाई शुरू की तो मैं कैसे इस कार्रवाई से खुद को अलग करता।'

नीतीश ने कहा कि मैंने तेजस्वी से यही कहा कि आप लोगों के बीच जाकर यह बताइए कि आप पर जो बेनामी संपत्ति का आरोप लगा है वह बेनामी नहीं है। 

नीतीश कुमार ने लालू यादव के इस बयान को भी खारिज कर दिया कि वह उनकी वजह से मुख्यमंत्री बने। कुमार ने कहा लालू यादव को इस बात का डर हो गया था कि अगर महागठबंधन नहीं बना तो कांग्रेस और जनता दल-यूनाइटेड साथ में मिलकर चुनाव लड़ लेंगे। उन्होंने कहा, 'इस डर की वजह से लालू यादव ने महागठबंधन बनाने की जल्दबाजी दिखाई।'

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