बिहार से अलग होकर बने झारखंड में भोजपुरी और मगही भाषा को लेकर उपजे विवाद के बीच बिहार में भी भाषाओं को लेकर तपिश महसूस की जाने लगी है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जहां भोजपुरी को प्राथमिक शिक्षा में शामिल किए जाने के संकेत दिए हैं, वहीं अंगिका भाषा को मातृ भाषाओं की सूची में शामिल करने तथा बिहार राज्य में दूसरी भाषा का दर्जा देने की मांग को लेकर आंदोलन तेज करने का निर्णय लिया गया है।
झारखंड के कई जिलों के स्थानीय भाषा की सूची से भोजपुरी और मगही को हटा दिया गया है। राज्य के बोकारो और धनबाद में क्षेत्रीय भाषा के रूप में भोजपुरी को हटाए जाने की चहुंओर आलोचना हो रही है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी कहते हैं कि भोजपुरी बिहार और झारंखड के साथ उत्तर प्रदेश के बड़े हिस्से और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में भी बोली जाती है। देश के अलावे विदेशों में भी भोजपुरी बोली जाती है। उन्होंने कहा कि बिहार में भोजपुरी को प्राथमिक शिक्षा में शामिल किए जाने को ले शिक्षा विभाग गौर करेगा।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि वह बार-बार यह कह रहे कि भोजपुरी सिर्फ बिहार की भाषा नहीं है। भोजपुरी यूपी में भी है और झारखंड में तो है ही। छत्तीसगढ़ में भी कुछ लोग यह भाषा बोलते हैं। हम लोगों को भोजपुरी के लिए यहां जो करना है वह तो करेंगे ही और फिर से इसे केंद्र को भेजेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भोजपुरी का बड़ा क्षेत्र है। इसका अंतरराष्ट्रीय महत्व भी है। अभी झारखंड में भोजपुरी को लेकर जो हुआ वह बहुत गलत है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को मैंने मैथिली के लिए कहा था। एक महीने के अंदर ही उन्होंने इसे संविधान की अष्टम सूची में डाल दिया।
इधर, तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर अंगिका भवन में जन गण मन की ओर से आयोजित अंग जन समागम में बिहार के कई क्षेत्रों में बोली जाने वाली अंगिका भाषा को मातृ भाषाओं की सूची में शामिल करने तथा बिहार राज्य में दूसरी भाषा का दर्जा नहीं देने पर आंदोलन तेज करने का निर्णय लिया गया।
बैठक में सरकार द्वारा 5 करोड़ से अधिक अंगवासियों की मातृभाषा अंगिका को जल्द कोड नहीं दिया जाएगा तो इस मामले को हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी ले जाने का फैसला किया गया।
अंगिका और हिंदी के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ शिव नारायण कहते हैं कि मातृभाषा से ही ज्ञान विज्ञान की शिक्षा के विकास संभव है। उन्होंने कहा कि अंगिका को मातृभाषा कोड देने से ही सरकार की नई शिक्षा में मातृभाषा को महत्व देने का मकसद पूरा हो सकेगा।
इधर, बिहार भाजपा के उपाध्यक्ष और मीडिया प्रभारी राजीव रंजन ने झारखंड में उठे भाषा विवाद को लेकर झारखंड सरकार को दोषी ठहराया है। उन्होंने कहा कि सरकार भाषा के नाम पर सियासत कर रही है।
उन्होंने कहा कि बोकारो और धनबाद जिलों की क्षेत्रीय भाषाओं की सूची से भोजपुरी और मगही को बाहर कर दिया गया। उन्होंने कहा कि सरकार जल्द ही पलामू और गढ़वा जिलों से भी इन भाषाओं को हटाने की योजना बनाई गई है जबकि सभी जिलों में उर्दू क्षेत्रीय भाषा में शामिल है।
उन्होंने कहा कि झारखंड में सत्तारूढ राजद और कांग्रेस को बताना चाहिए कि उन्हें भोजपुरी और मगही से इतनी नफरत क्यों है।
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Source : IANS