बिहार में पंचायत चुनाव संपन्न होने के बाद अब विधान परिषद चुनाव की तैयारी तेज हो गई है। इस चुनाव को लेकर सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) पर सबकी नजर रहेगी।
सूत्रों का कहना है कि इस चुनाव को लेकर जहां जदयू विधान परिषद में अपनी ताकत बढ़ाने के जुगाड में है वहीं गठबंधन में शामिल छोटे दल भी अपनी हिस्सेदारी को लेकर आशावान हैं।
दरअसल, राज्य के 24 सीटों के लिए मतदान पिछले साल ही हो जाना था, लेकिन कोरोना संक्रमण को लेकर पंचायत चुनाव टला तो विधान परिषद चुनाव भी आगे सिखकता चला गया।
विधान परिषद की इन 24 सीटों पर वर्ष 2015 में हुए चुनाव में भाजपा के सबसे अधिक 11 उम्मीदवार जीते थे, जबकि जदयू के 5 प्रत्याशी जीते थे। लेकिन हाल के परि²श्य में आए बदलाव के बाद जदयू अधिक सीटों की मांग कर रहा है।
जदयू का तर्क है कि पिछला चुनाव 2015 में हुआ था। तब भाजपा, रालोसपा और लोजपा साझे में लड़ी थी। भाजपा की 11 और लोजपा की एक सीट पर जीत हुई थी। बाद में लोजपा की नूतन सिंह और निर्दलीय अशोक कुमार अग्रवाल भाजपा में शामिल हो गए।
जदयू का दावा इस आधार पर है कि उसके पांच उम्मीदवार जीते थे। उस चुनाव में जीते राजद के तीन और कांग्रेस के एक विधान पार्षद जदयू में शामिल हुए। यह संख्या नौ हुई।
ऐसे में जदयू का दावा 24 में से आधी यानी 12 सीटों पर है। इधर, राजग में शामिल जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) और मुकेश सहनी की पार्टी (वीआईपी) भी कुछ सीटें मांग सकती है। इधर, केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस की पार्टी राष्ट्रीय लोकजनशक्ति पार्टी भी राजग के ही साथ हैं।
बताया जाता है कि चुनाव को लेकर सीटों के बंटवारे को लेकर जदयू और भाजपा के नेताओं के बीच एक दौर की बातचीत हो चुकी है। सूत्र बताते भी हैं कि सीटों के बंटवारे को लेकर कहीं कोई किचकिच नहीं है। सूत्र तो यहां तक कहते हैं कि सभी घटक दलों की सहमति से ही सीटों का बंटवारा होगा।
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Source : IANS