बिहार घोटाला : 350 करोड़ रुपये सरकारी धन का फर्जीवाड़ा, 7 लोग हुए गिरफ्तार
बिहार के भागलपुर में सरकारी धन का व्यक्तिगत रूप से इस्तेमाल करने का मामला सामने आया है। भागलपुर के एक पुलिस अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि इस मामले में अब तक 350 करोड़ रुपये से ज्यादा राशि के फर्जीवाड़े का पता चला है।
नई दिल्ली:
बिहार के भागलपुर में सरकारी धन का व्यक्तिगत रूप से इस्तेमाल करने का मामला सामने आया है| भागलपुर के एक पुलिस अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि इस मामले में अब तक 350 करोड़ रुपये से ज्यादा राशि के फर्जीवाड़े का पता चला है। इस फर्जीवाड़े में एक स्वयंसेवी संस्था में सरकारी योजानओं के पैसे रखे जाने और संस्था द्वारा इसके व्यक्तिगत इस्तेमाल का खुलासा हुआ है।
इस मामले के खुलासे के बाद ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तेज़ी के साथ पहल करते हुए अपराध की एक यूनिट टीम को भागलपुर भेजकर इस मामले की पूर्ण जाँच का आदेश दिया है।
पुलिस के अनुसार, इस मामले में स्वयंसेवी संस्था के कर्मचारी, बैंक के अधिकारी और सरकारी अधिकरियों और कर्मचारियों सहित सात लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। उन्होंने ये भी बताया कि भागलपुर के सबौर स्थित स्वयंसेवी संस्था सृजन महिला विकास सहयोग समिति के बैंक खाते में सरकारी योजनाओं के पैसे रखे जाते थे, जिसका उपयोग संस्था द्वारा अपने व्यक्तिगत कार्यो में करती थी।
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पुलिस सूत्रों का दावा है कि यह गोरखधंधा वर्ष 2009 से ही चल रहा था। भागलपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार ने शुक्रवार को बताया 'इस फर्जीवाड़े का खुलासा तीन अगस्त को 10 करोड़ रुपये के एक सरकारी चेक के बाउंस होने के बाद सामने आया।'
कुमार ने बताया कि अभी तक इस अवैध निकासी मामले में जो सरकारी राशि का फर्जीवाड़ा हुआ है, उस मामले में अब तक भागलपुर के विभिन्न थानों में पांच अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज कराई गई है, जिसमें 350 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि का फर्जीवाड़ा की बात सामने आई है।
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भागलपुर के एक अन्य पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस मामले में अब तक सात लोगों की गिरतारी की गई है, जिसमें बैंक के पदाधिकारी, स्वयंसवी संस्था के पदाधिकारी एवं सरकारी पदाधिकारी व कर्मचारी शामिल हैं। इस मामले में दो दर्जन लोगों को नामजद आरोपी बनाया गया है और अभी इस मामले की जांच जारी है|
उन्होंने कहा कि भू-अर्जन विभाग से 270 करोड रुपये की राशि जबकि जिला नजारत से 14़ 80 करोड़ और मुख्यमंत्री नगर विकास योजना से 10़26 करोड़ रुपये बैंक ऑफ बड़ौदा तथा इंडियन बैंक से निकाल कर सृजन महिला संस्थान के खातों में जमा कराया गया है।
बताया जाता है कि सृजन महिला विकास सहयोग समिति का गठन वर्ष 1996 में को-ऑपरेटिव सोसाइटी एक्ट के तहत हुआ था। बाद में इस संस्थान की मान्यता जिला स्तर पर मिल गई और इस संस्था को सरकारी मदद मिलने लगी। पुलिस के अनुसार इस मामले में बैंक के अधिकारियों और प्रशासनिक अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत सामने आई है।
सूत्रों के अनुसार, 2003 से सृजन महिला के बचत एवं शाखा में सरकारी राशियां भी जमा होने लगी। गौरतलब है कि सहयोग समिति को किसी प्रकार के बैंकिंग सेवाओं के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की अनुमति नहीं है।
भागलपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने कहा कि पूरे मामले की गहन छानबीन की जा रही है। इस मामले में राशि और आरोपी की संख्या में और वृद्धि हो सकती है।
इस फर्जीवाड़ा के सामने आते ही सरकार ने सभी जिलों के सरकारी खातों की जांच के आदेश दे दिए हैं। सरकार का मानना है कि इस जांच से यह पता चल सकेगा कि किसी और जिले में तो ऐसे फर्जीवाड़े का धंधा नहीं चल रहा है।
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