बिहार: मंदिरों के फूलों से तैयार हर्बल साबुन की सुगंध बाजारों तक पहुंची
बिहार: मंदिरों के फूलों से तैयार हर्बल साबुन की सुगंध बाजारों तक पहुंची
आरा (बिहार):
बिहार के भोजपुर जिले में मंदिरों में चढ़े और शादी ब्याह के मौसम में मंडप में सजे फूलों से हर्बल साबुन तैयार कर महिलाएं न केवल आत्मनिर्भर हो रही हैं, बल्कि अन्य महिलाओं को स्वावलंबी बनाने का रास्ता भी दिखा रही है। इन महिलाओं द्वारा तैयार हर्बल साबुन अब बाजार में भी उपलब्ध हो रहा है, जिसकी अच्छी मांग हो रही है।भोजपुर जिले के उदवतंनगर प्रखंड के सरथुआ पंचायत की ये महिलाएं पहले अपने घरेलू कामों में ही व्यस्त रहती थी, लेकिन अब ये उंचे सपने देखने लगी हैं।
जिला कृषि विभाग के एक अधिकारी बताते हैं कि प्रारंभ में इन गांवों में स्वयं सहायता समूह से महिलाओं को जोड़ा गया और उसके बाद उन्हें आत्मनिर्भर बनने के लिए जागरूक किया गया।
उन्होंने बताया कि कृषि विभाग की कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण (आत्मा) के सौजन्य से समूह की 11 महिलाओं को बिहार कृषि प्रबंधन और प्रशिक्षण संस्थान (बामेति), पटना के द्वारा प्रशिक्षण दिया गया।
बामेति द्वारा कृषि जानकारी के अलावा स्वरोजगार के लिए भी प्रशिक्षण दिया जाता है। एक अधिकारी बताते हैं कि बामेति द्वारा महिला किसानों को फूलों के अवशेषों से साबुन और प्रसाधन सामग्री बनाने का प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण के बाद इन महिलाओं ने स्वरोजगार को अपनाया, जिससे इनकी आय बढने लगी।
भोजपुर आत्मा परियोजना के उप निदेशक राणा राजीव रंजन कुमार बताते हैं कि प्रशिक्षण प्राप्त 11 महिलाओं में से पांच महिलाओं द्वारा शादी ब्याह के मौसम में मंडपों और वाहनों पर सजे तथा मंदिरों में चढ़े गुलाब और अड़हुल के फूलों से हर्बल साबुन तैयार किया जा रहा है।
जिले में इस तरह का यह पहला प्रयोग है, जो सफल रहा है। उन्होंने बताया कि इसके लिए पंजाब के अंबाला से किट मंगाया जा रहा है। एक बार किट मंगाने में 13 हजार रुपए का खर्च आता है।
उन्होनें कहा कि सरथुआ पंचायत के एकता कृषक हित समूह की विभा ने सबसे पहले यह साबुन तैयार कर अपना हुनर दिखाया है। पहला प्रयोग सफल होने से विभा का उत्साह बढ़ गया है। अब इस साबुन की सुगंध बाजारों तक पहुंच गई। बाजार में भी इसकी बिक्री शुरू हो गई है। उन्होंने बताया कि किट से सौ-सौ ग्राम की 100 पीस साबुन की टिकिया तैयार की जाती है। इसकी बिक्री के बाद दूसरी बार किट की आपूर्ति हुई है।
भोजपुर के जिला कृषि पदाधिकारी मनोज कुमार के मुताबिक महिला सशक्तीकरण एवं स्वावलंबन को लेकर महिला कृषक हित समूह बनाकर प्रशिक्षण दिया गया है। इसमें आत्मा परियोजना निदेशक सुशांत कुमार एवं उप परियोजना निदेशक राणा राजीव रंजन कुमार ने महिलाओं को जागरूक किया। पहले 30 हजार रुपए अनुदान दिया गया है और अब यह कार्य आगे बढ़ गया है।
बताया जा रहा है कि मांग के अनुरूप साबुन का उत्पादन अभी नहीं हो पा रहा है, लेकिन आने वाले दिनों में इसकी पूर्ति संभव हो सकेगी। उन्होंने बताया कि फिलहाल उतना फूल भी नहीं मिल पा रहा है।
राजीव रंजन बताते हैं कि इस महीने जिला में किसान मेले में भी इस साबुन तैयार करने की पद्धति को दिखाया जाएगा तथा मेले में साबुन भी उपलब्ध कराया जाना है। इसका उद्देश्य अन्य महिलाओं को भी स्वरोजगार की ओर जागरूक करना है।
फिलहाल 100 ग्राम के इस साबुन का बाजार मूल्य 50 रुपए प्रति पीस निर्धारित की गई है। हर्बल होने से यह स्वास्थ्य और प्रत्येक आयु वर्ग के लोगों के ²ष्टिकोण से बेहतर बताया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि महिलाओं के सौंदर्य के लिए खास तरह का उबटन यानी फेस पैक भी तैयार करने की योजना बनाई गई है। यह भी पूरी तरह हर्बल उत्पाद होगा।
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