बड़ी खबर: तेजस के अलावा इन ट्रेनों के लेट होने पर यात्री ले सकते हैं मुआवजा

तेजस के लेट होने पर यात्रियों को 250 रुपये तक का मुआवजा देने की व्यवस्था की गई है, एक घंटा लेट होती है, तो 100 रुपये और 2 घंटे लेट होती है, तो 250 रुपये का मुआवजा दिया जाएगा

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Sushil Kumar
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खुशखबरी! दूसरी तेजस ट्रेन मुंबई-अहमदाबाद 19 जनवरी से पटरी पर दौड़ेगी, इस दिन होगा उद्घाटन

भारतीय रेल( Photo Credit : न्यूज स्टेट)

देश में ट्रेन होने की खबर आम है. देश की 95 प्रतिशत ट्रेन देरी से चलती है. भारतीय रेल और समय का 36 का आंकड़ा है. लेकिन इस बीच ट्रेन की लेट होने पर मुआवजा का प्रावधान हो तो घाव पर कुछ मरहम लग सकता है. ट्रेन यात्रियों को कुछ राहत मिलेगी. देश की पहली कॉरपोरेट ट्रेन तेजस एक्सप्रेस को सीएम योगी आदित्यनाथ ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. ट्रेन पटरी पर दौड़ने लगी है. यह देश की पहली ट्रेन है जिसकी लेट होने पर सरकार ने मुआवजा का प्रावधान किया है. 

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बता दें कि तेजस के लेट होने पर यात्रियों को 250 रुपये तक का मुआवजा देने की व्यवस्था की गई है. मुआवजे के प्रावधान के अनुसार तेजस अगर एक घंटा लेट होती है, तो 100 रुपये और 2 घंटे लेट होती है, तो 250 रुपये का मुआवजा दिया जाएगा. अब ट्रेन यात्रियों के मन में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या तेजस की तरह अन्य ट्रेन में भी मुआवाजा मिलेगा, अगर वह ट्रेन लेट होती है तो. यह सवाल हर एक ट्रेन यात्रियों के मन में उठने लगा है. यात्रियों का कहना है कि क्या अन्य ट्रेन लेट होती है तो हम मुआवजे का दावा कर सकते हैं.

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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार एडवोकेट कालिका प्रसाद काला का कहना है कि अगर ट्रेन लेट होती है तो इसको कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के तहत डिफिशिएंसी इन सर्विस यानी सर्विस में खामी माना जाता है. इसके लिए यात्री कंज्यूमर फोरम में मामला दर्ज कर सकते हैं. केस दर्ज करने के बाद मुआवजा ले सकते हैं. वकील कालिका प्रसाद काला ने बताया कि रेलवे जिस ट्रेन टिकट को जारी करता है, उसमें भी ट्रेन के शुरू होने और डेस्टिनेशन तक पहुंचने का टाइम लिखा होता है. ऐसे में बिना किसी बड़े कारण ट्रेन लेट नहीं होनी चाहिए.

पहले भी मिला चुका है मुआवजा

वकील ने यह भी बताया कि नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट रिड्रेसल कमीशन ने साल 2011 में ट्रेन लेट होने पर बीमार पड़ने वाले एक बुजुर्ग को मुआवजा दिला चुका है. नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेसल कमिशन ने ट्रेन की देरी को डिफिशिएंसी इन सर्विस माना है. भारत सरकार बनाम केदारनाथ जेना के मामले में शिकायतकर्ता का बेटा बीमार पड़ गया था. अपने बेटे का इलाज कराने के लिए वह कटक से बेंगलुरु जा रहा था. वे गुवाहाटी एक्सप्रेस से जा रहे थे. ट्रेन करीब 10 घंटे तक लेट हो गई थी. इसके बाद शिकायतकर्ता ने मामले की शिकायत कंज्यूमर फोरम में की थी और मुआवजे का दावा किया था. उसे मुआवजा मिला और रेलने ने अपनी गलती मानी.

वकील काला के अनुसार देश में 95 फीसदी ट्रेन लेट चलती है. ट्रेन लेट होने पर यात्री मुआवजे के लिए कंज्यूमर फोरम में केस करते हैं तो इसकी प्रक्रिया लंबी चलती है. जिसकी वजह से लोगों को मुआवजा मिलने में काफी वक्त लग जाता है. अगर तेजस की तरह सभी ट्रेनों के लेट होने पर यात्रियों को मुआवजा देने का प्रावधान किया जाए तो यह बहुत ही अच्छा होगा.

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