भोपाल गैस पीड़ित पूछ रहे है सरकारों से सवाल
भोपाल गैस पीड़ित पूछ रहे है सरकारों से सवाल
भोपाल 31 अक्टूबर:
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में गैस हादसे को 37 पूरे होने को हैं। इस हादसे की जद में आए परिवारों के सामने अब भी समस्याएं मुंह बाए खड़ी है। इस समस्याओं को लेकर गैस पीड़ितों की लड़ाई लड़ने वाले संगठनों ने 37 साल पर 37 सवाल का अभियान शुरु किया। यह सवाल गैस पीड़ितों के इलाज, मुआवजा, दोषियों को सजा, सामाजिक पुनर्वास,रोजगार व प्रदूषित जमीन की सुफाई जैसे मुददों से जुड़े हुए हैं।दो और तीन दिसंबर 1984 की दरम्यानी रात को यूनियन कार्बाइड से रिसी जहरीली गैसे ने कई परिवारों को मौत की नींद सुला दिया था। इस हादसे में 5295 लोगों की मौत की बात कही जा रही है। वहीं हजारों लोग इस जहरीली गैस से मिली बीमारी का दंश झेल रहे है। सबसे ज्यादा प्रभावित हृदय, गुर्दे, लिवर, आंख के मरीज है।
भोपाल में 37 पहले हुए गैस हादसे के पीड़ितों की भोपाल गैस पीड़ित स्टेशनरी कर्मचारी संघ, भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन, भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा , डाव कार्बाइड के खिलाफ बच्चे नाम के संगठन लड़ाई लड़ते आ रहे है। इस संगठनों ने इस बार सरकार को कटघरे में खड़ा करने के लिए 37 साल 37 सवाल का अभियान शुरू किया है।
गैस पीड़ितों की लड़ाई लड़ने वाले संगठनों का कहना है कि हादसे के बाद सरकार ने अपनी उन जिम्मेदारियों को पूरा नहीं किया, जो उसे करना चाहिए थे। पीड़ितों को न तो ठीक से मुआवजा मिला और नहीं उनके रोजगार की चिंता की गई। साथ ही उनके न तो इलाज के बेहतर इंतजाम किए गए और न ही संयंत्र परिसर व बाहर जमा जहरीले कचरे की सफाई।
भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन की रचना ढ़ींगरा का कहना है कि इस हादसे में मृतकों की संख्या 5295 बताई जाती है, वहीं पांच हजार विधवाओं को राज्य सरकार पेंशन दे रही है। सवाल उठता है कि क्या इस हादसे में शादी-शुदा महिलाओं ने ही अपने पतियों को खोया है। इसके अलावा महिलाओं, युवाओं, अविवाहित और बच्चों की मौत ही नहीं हुई।
उन्होंने आगे कहा कि इस हादसे को हुए 37 साल हो रहे है, मगर लोगों को इंसाफ और आरोपियों को दंड नहीं मिला है। इसलिए यह मुहिम शुरु की गई है। इन 37 सवाल पूरी तरह तर्क पर आधारित होंगे और सूचना के अधिकार के जरिए सामने आई बातों का खुलासा भी करेंगे।
गैस पीड़ितों के संगठनों ने सरकार से सवाल किया है कि भोपाल यूनियन कार्बाइड व डाव केमिकल द्वारा मिटटी व पानी को प्रदूषित करने के लिए आज तक सरकार इन कंपनियों से मुआवजे की मांग क्यों नही की। यूनियन कार्बाइड को सरकार ने 99 साल की लीज पर जमीन दी थ्ीा और उसे मूल हालत में लौटाना था। तमाम रिपोर्ट बताती है कि संयंत्र परिसर मे बड़ी तादाद में जहरीला रसायन है। भूजल भी प्रदूषित है मगर सरकार ने मुआवजे की मांग नहीं की है।
गैस पीड़ितों के संगठनों द्वारा पूछे जा रहे सवाल नई बहस को जन्म देने वाले हैं। रोज सरकार से सवाल पूछे जा रहे है मगर सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है।
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