Hathras stampede: हाथरस हादसे के बाद नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा का पहला बयान सामने आया है. उन्होंने कहा है कि हाथरस में भगदड़ से हुए हादसे से पहले ही वहां से निकल चुका था. भोले बाबा ने कहा कि कुछ असामाजिक तत्वों ने सत्संग में भगदड़ मचाई. उन्होंने हादसे में मारे गए लोगों के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त की हैं. साथ ही भोले बाबा ने बताया है कि उन्होंने मामले में वकील एपी सिंह को नियक्त किया है.
बता दें कि मंगलवार को यूपी के हाथरस में भोले बाबा के सत्संग के दौरान भगदड़ मच गई थी, जिससे भयंकर हादसा हो गया था. इस हादसे में अबतक 121 लोगों की मरने की खबर है.
यहां पढ़ें: भोले बाबा का लिखित बयान
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हादसे के बाद खौफनाक था मंजर
भगदड़ के बाद हाथरस का मंजर खौफनाक था. किसी ने मां, मौसी तो किसी ने बुआ और पिता को खोया है. किसी के घर को चिराग बुझ गया तो किसी का पूरा परिवार ही खत्म हो गया. पीड़ितों ने हाथरस की जो दास्तां बताई है उसे सुनकर आपकी रूह कांप उठेगी. हर तरफ लोगों की चित्कार थी. अपनों के खोने के गम में लोग बुरी तरह से रो रहे थे. पूरे इलाके में मौत का मातम पसर गया था. अस्पतालों में लाशों के ढेर जुट गए थे.
इस खौफनाक हादसे के बाद से ही भोले बाबा अंडर ग्राउंड हो गया. यूपी पुलिस उसकी तलाश में कई राज्यों में खाक छान रही है. साथ ही बताया जा रहा है कि संत्सग के 5 आयोजकों पर एफआईआर दर्ज हो चुकी है.
हादसे की न्यायिक जांच का ऐलान
अभी कुछ ही देर पहले सीएम योगी ने हाथरस मामले पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की है, जिसमें उन्होंने हाथरस हादसे की न्यायिक जांच का ऐलान किया है, इसलिए हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज के निर्देशन में एक कमेटी का गठन किया जा रहा है, जो मामले की जांच करेगी.
इससे पहले सीएम योगी ने हाथरस जांच का जिम्मा एडिशनल डीडी आगरा को सौंपा था. उन्होंने बताया कहा कि एडिशनल डीजी आगरा की अध्यक्षता में मंडलायुक्त अलीगढ़ को शामिल करते हुए एक टीम बनाकर उनको एक रिपोर्ट बनाने को कहा गया है. सीएम योगी ने साफ कर दिया है कि ये हादसा है या साजिश... सरकार इसका पता लगाने के लिए तह तक जाएगी.
कौन है भोले बाबा?
बाबा को नारायण साकार हरि और साकार विश्व हरि जैसे नामों से जाना जाता है. बाबा का असली नाम सूरज पाल हैं. नारायण साकार हरि एटा जिले के बहादुर नगरी गांव का रहने वाला है. नारायण साकार हरि अपनी पत्नी के साथ सत्संग करते हैं. इनके सत्संग को मानव मंगल मिलन सद्भावना समागम कहा जाता है.
बाबा खुद को इंटेलीजेंस ब्यूरो का पूर्व कर्मचारी बताते हैं. दावा है कि 26 साल पहले सरकारी नौकरी छोड़ वे प्रवचन करने लगे. सूत्रों की माने तो बाबा यूपी पुलिस में हेड कॉन्स्टेबल था. उन पर बलात्कार का केस दर्ज हुआ था, जिसके बाद पुलिस विभाग ने उसे बर्खास्त कर दिया था. जेल से छूटने के बाद सूरज पाल बाबा बन गया.
Source : News Nation Bureau