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भीमा-कोरेगांव हिंसा: राहुल फतांगले की मौत मामले में पुलिस को कोई पुख्ता सबूत नहीं मिला

महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में सोमवार को हुई हिंसा के मामले में 28 वर्षीय एक व्यक्ति की मौत के मामले में पुलिस को कोई ठोस सुराग नहीं मिला है।

Updated on: 04 Jan 2018, 10:02 PM

नई दिल्ली:

महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में सोमवार को हुई हिंसा के मामले में 28 वर्षीय एक व्यक्ति की मौत के मामले में पुलिस को कोई ठोस सुराग नहीं मिला है। सोमवार की हिंसा में कनूर मेसाई गांव के निवासी राहुल फतांगले के मारे जाने के बाद अगले दो दिनों तक महाराष्ट्र के दलित समूहों द्वारा गुस्से में विरोध प्रदर्शन किया गया।

पुणे के पुलिस अधीक्षक सुवेज़ हक ने कहा, 'हम मामले की जांच कर रहे हैं। हमें कुछ निर्णायक सुराग मिले हैं। हालांकि, एक निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए, हमें साक्ष्य को मजबूत करने और साथ ही हालात को समझना होगा'। फतांगले के परिवार ने दावा किया था कि उसका हिंसा से संबंध नहीं है और जब उस पर हमला हुआ था तो वह सब्जियां खरीदने के लिए घर से बाहर गया था।

महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगांव में एक जनवरी को हुई हिंसा की आग गुरुवार को गुजरात और मध्य प्रदेश के कई हिस्सों में भी फैल गई।

दलित संगठनों ने हिंसा में हुई युवक की मौत की जांच और अपना समर्थन प्रकट करने के लिए प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने कई जगहों पर सड़क जाम कर दिये और बसों में तोड़फोड़ की।

मध्य प्रदेश के बुरहानपुर के पुष्कर बस स्टैंड में प्रदर्शनकारियों ने 12 बसों में तोड़फोड़ की। इस दौरान एक ड्राइवर को हल्की चोटें आई है। उन्हें सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। भीमा-कोरेगांव में हुई हिंसक घटना के खिलाफ दलितों ने गुरुवार को बंद का आह्वान किया है।

वहीं गुजरात के जुनागढ़ में भी दलित संगठनों के विरोध प्रदर्शन का असर दिखा। प्रदर्शनकारियों ने मधुराम बाय-पास को जाम कर दिया। हालांकि कुछ देर बाद प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए सड़क खाली करवा दिये।

आपको बता दें कि बुधवार को भीमा-कोरेगांव हिंसा के खिलाफ दलित संगठनों ने महाराष्ट्र में बंद का आह्वान किया था। इस दौरान एक 16 वर्षीय छात्र की मौत हो गई। वहीं राज्य के कई हिस्सों में छिटपुट घटना की खबरें सामने आई।

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बुधवार को बुलाए गए महाराष्ट्र बंद के मामले में मुंबई पुलिस के मुताबिक, अब तक 16 एफआईआर दर्ज किये गये हैं और 300 लोगों को हिरासत में लिया गया है।

1 जनवरी को क्या हुआ था?

पुणे के भीमा-कोरेगांव में महार व अंग्रेजों की सेना और पेशवाओं के बीच लड़ाई के 200 वर्ष पूरे होने पर समारोह का आयोजन किया गया था, जिसके बाद वहां हिंसा भड़क गई। दलित संगठनों का आरोप है कि कुछ दक्षिणपंथी संगठनों ने हमला किया। उसके बाद हिंसा भड़की।

1 जनवरी को हुई हिंसा के मामले में पुणे पुलिस ने विश्रामबाग पुलिस स्टेशन में दलित नेता जिग्नेश मेवाणी और जेएनयू के युवा नेता उमर खालिद के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया है। 31 दिसंबर को पुणे के एक कार्यक्रम में इन दोनों के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने का आरोप है।