भीमा कोरेगांव में एक सभा में हेट स्पीच से भड़की हिंसा के मामले में पुणे पुलिस ने पांच प्रमुख दलित कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया।
भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में गुजरात के दलित विधायक जिग्नेश मेवाणी भी पुणे पुलिस की रडार पर है।
'शहरी नक्सल समर्थकों' के खिलाफ एक अभियान के तहत गिरफ्तार लोगों में मुंबई के सुधीर धवले, नागपुर के वकील सुरेंद्र गाडलिंग और दिल्ली के कार्यकर्ता रोना जैकब विल्सन शामिल हैं।
इसके अलावा पुलिस ने नागपुर में शोमा सेन और मुंबई में महेश राउत को भी गिरफ्तार किया।
पुणे के संयुक्त पुलिस आयुक्त, रविंद्र कदम ने कहा, 'ऐतिहासिक युद्ध की 200वीं वर्षगांठ पर जिग्नेश मेवाणी एल्गार परिषद में मौजूद थे। अगर जरूरत पड़ी तो जिग्नेश मेवाणी को पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा।'
प्रेस कांफ्रेंस के दौरान रविंद्र कदम ने कहा, 'अगर जरूरत पड़ी तो हम जिग्नेश मेवाणी को जांच के हिस्से के रुप में समन जारी करेंगे।'
कदम ने यह भी कहा कि पुलिस को कांग्रेस पार्टी के गिरफ्तार किए पांच लोगों में एक के लिंक स्थापित करने के दस्तावेज मिले हैं।
रविंद्र कदम ने कहा, 'एक दस्तावेज में संदर्भ है (कांग्रेस के साथ संबंध) लेकिन कितना सही या गलत है आगे की जांच के बाद ही कहा जा सकता है।'
पुणे कोर्ट ने इस मामले में गिरफ्तार चारों लोगों को 14 जून तक पुलिस हिरासत में भेज दिया है। गिरफ्तार लोगों में धवले मराठी पत्रिका 'विद्रोही' के संपादक हैं।
राउत प्रधानमंत्री ग्रामीण विकास का फेलो रह चुके हैं, और उन पर महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में नक्सली समूहों से संबंध रखने के आरोप हैं।
पुणे ने गिरफ्तार किये गए रोना विल्सन और सुरेंद्र गाडलिंग के घर पर छापे मारे थे। विल्सन के घर से पुलिस को पेन ड्राइव, हार्ड डिस्क और कुछ दस्तवेज मिले जिन्हे फॉरेंसिक में भेज दिया गया है।
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पुलिस ने कहा, हमें रोना विल्सन और सुरेंद्र गाडलिंग के नक्सलियों से सम्बन्ध के बारे में पता चला।
क्या है मामला ?
पिछले साल 31 दिसंबर को गिरफ्तार लोगों ने पुणे के शनिवारवाड़ा में एलगार परिषद आयोजित किया था। यह परिषद ब्रिटिश सेना और पेशवा बाजीराव द्वितीय के बीच हुए ऐतिहासिक युद्ध की 200वीं वर्षगांठ पर आयोजित की गई थी।
इस आयोजन को गुजरात के दलित नेता व विधायक जिग्नेश मेवानी, जेएनयू के छात्र नेता उमर खालिद, छत्तीसगढ़ की सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी और भीम सेना के अध्यक्ष विनय रतन सिंह ने संबोधित किया था।
इसके एक दिन बाद (एक जनवरी को) कोरेगांव-भीमा में जातीय दंगे भड़के थे।
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Source : News Nation Bureau