भीमा कोरेगांव मामला: मोदी सरकार के खिलाफ रची जा रही थी ये साजिश, NIA का खुलासा
एनआईए जांच में सामने आया है कि केंद्र सरकार को बदनाम करने के लिए दलित-मुस्लिमों को मिलाकर एक संगठन खड़ा करने की साजिश रची जा रही थी.
नई दिल्ली :
भीमा कोरेगांव (Bhima Koregaon case) मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) जांच में बड़ा खुलासा हुआ है. एनआईए जांच में सामने आया है कि केंद्र सरकार को बदनाम करने के लिए दलित-मुस्लिमों को मिलाकर एक संगठन खड़ा करने की साजिश रची जा रही थी. आरोपी रोना विल्सन से मिले दस्तावेजों से कोई अहम सुराग हाथ लगे हैं.
भीमा कोरेगांव मामले में एनआईए की चार्जशीट के मुताबिक स्टेन स्वामी सीपीआई माओवादी सुधीर दावड़े, रोना विल्सन, सुरेंद्र गडलिंग, अरुण फरेरा, वर्णम गोनजल्वे, हनी बाबू, शोमा सेन, महेश राउत, वरावर राव, सुधा भारद्वाज ,गौतम नवलखा , और अरविंद टेलतुंबले के संपर्क में था.
स्टेन स्वामी ने एक कामरेड के जरिए 8 लाख रुपए हासिल किए थे और उसका मकसद था सीपीआई माओवादी की एक्टिविटि का प्रसार करना था. स्टेन स्वामी के घर से कुछ गोपनीय कागजात भी बरामद किए गए हैं.
वहीं हनी बाबू के यहां से कुछ गोपनीय मेल मिले हैं. जिससे पता चलता है कि ये सीबीआई माओवादी के लिए फंड इक्ट्ठा कर रहा था. हनी बाबू , दिल्ली के छात्रों के बीच पैठ बनाकर माओवादियो के लिए उनके मन मे सहानुभूति पैदा कर रहा था.
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इसके खास टारगेट पर अल्पसंख्यक और दलित छात्र थे. इसके घर से बरामद दस्तावेज़ इस तरफ इशारा करते है कि ये मुम्बई और सूरत में संगठन की पैठ बनाकर ज़्यादा से ज़्यादा लोगो को अपने साथ जोड़ना चाहता था.
जांच के दौरान यह भी पता चला है की गिरफ्तार आरोपी सागर गोरखे, रमेश गैचोर, ज्योति जगताप जोकि सीपीआई के मेंबर हैं...फरार मिलिंद तेलतुमबड़े के इशारे पर काम कर रहे थे. इन सभी ने कोर्ची एरिया में 2 से 3 महीने की हथियार और फिजिकल ट्रेनिंग ली थी.
वहीं, सप्लीमेंट्री चार्जशीट में साफ तौर पर लिखा गया है कि गौतम नवलखा शहरी इलाकों में एक्टिव था उसका काम था. संगठन से बुद्धिजीवियों को जोड़ना ताकि उन्हें गवर्नमेंट फोर्सेज के खिलाफ खड़ा किया जा सके. गौतम नवलखा फैक्ट फाइंडिंग कमेटी में भी हिस्सा लिया था और उसको गोरिल्ला एक्टिविस्ट को संगठन में रिक्रूट करने का काम मिला था. यह संगठन था सीपीआई माओवादी.
यह भी सामने आया है कि गौतम नवलखा का संपर्क आईएसआई से था. गौतम नवलखा आईएसआई के मेंबर गुलाम नबी फई के संपर्क में था.
भीमा कोरेगांव एल्गर परिषद का कार्यकर्ता गौतम नवलखा ने 2010 से 2011 के बीच तीन बार अमेरिका का दौरा किया था. ये तमाम खुलासे एनआईए ने पिछले हफ्ते दायर की गई चार्जशीट में किए हैं.
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गुलाम नबी फई कश्मरी में पैदा हुआ और अमेरिका में रह रहा था. ISI और पाकिस्तानी सरकार के संपर्क में रहकर अपने केएसी संगठन के एजेंडे को बढ़ावा दे रहा था.
FBI को जब पता चला कि इस संगठन को ISI फंडिंग कर रहा है तो संगठन के कार्यकारी निदेशक गुलाम नबी फई को 2011 में गिरफ्तार कर लिया गया था. फाई को साजिश रचने के आरोप में अमेरिका की एक अदालत ने सजा सुनाई थी और 2013 में रिहा कर दिया गया था
उधर भारत मे रहकर गौतम नवलखा फ़ोन और ईमेल के जरिये फई के संपर्क में रहता था और उसी के कहने पर देश विरोधी गतिविधियों को अंजाम दे रहा था.
एनआईए अधिकारी ने कहा, "जब फई अमेरिकी जेल में अपनी सजा काट रहा था, तब नवलखा ने क्षमादान के लिए अमेरिकी अदालत को पत्र लिखकर उसका समर्थन किया था."
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