logo-image

राकेश टिकैत ने किसानों से जुड़े मुद्दों पर सीएम ममता बनर्जी से मुलाकात की

राकेश टिकैत गुरुवार को पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी से मुलाकात की. बीकेयू नेता राकेश टिकैत ने कोलकाता में सचिवालय में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी  के साथ मीटिंग की. इस दौरान राकेश टिकैत ने किसानों का मुद्दा उठाया.

Updated on: 09 Jun 2021, 03:56 PM

कोलकाता:

राकेश टिकैत गुरुवार को पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी से मुलाकात की. बीकेयू नेता राकेश टिकैत ने कोलकाता में सचिवालय में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी  के साथ मीटिंग की. इस दौरान राकेश टिकैत ने किसानों का मुद्दा उठाया. बता दें कि राकेश टिकैत तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ गाजीपुर बॉर्डर पर किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं. साथ ही कई राज्यों का लगातार दौरा कर रहे हैं. उन्होंने हाल ही में दावा किया था कि बीजेपी का जो हाल पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में हुआ वहीं हाल आगामी उत्तर प्रदेश चुनाव में भी होगा. बता दें कि राकेश टिकैत ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान राज्य में सभाएं की थी. 

पश्चिम बंगाल चुनाव के दौरान बीजेपी के खिलाफ प्रचार किया था

राकेश टिकैत ने पश्चिम बंगाल चुनाव के दौरान बीजेपी के खिलाफ प्रचार किया था और टीएमसी का समर्थन किया था. इसके बाद से ही टीएमसी और राकेश टिकैत के बीच नजदीकी बढ़ गई थी. बता दें कि ममता बनर्जी किसान आंदोलन का शुरुआती दौर से ही समर्थन कर रही हैं. बंगाल चुनाव के दौरान राकेश टिकैत खासतौर पर नंदीग्राम सीट पर प्रचार करने के लिए भी गए थे. यहीं से ममता बनर्जी ने चुनाव लड़ा था. हालांकि उन्हें इस सीट पर हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन राज्य में बहुमत टीएमसी को ही मिला है. 

तीनों कृषि कानूनों को रद करने की मांग को लेकर दिल्ली-एनसीआर के बॉर्डर (टीकरी, सिंघु और गाजीपुर) पर चल रहा पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों का आंदोलन जारी है. छह महीने बाद दिल्ली-एनसीआर के जिन तीन बॉर्डर पर किसान आंदोलन ने गति पकड़ी वहीं फुस्स हो ग है. वहीं, तीनों ही बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसानों की संख्या भले ही कम हो, लेकिन इस बीच भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत के हौसले बुलंद हैं. बता दें कि फरवरी-मार्च और अप्रैल महीने में किसान संगठन लगातार यह कहते रहे हैं कि वे कई महीनों की तैयारी के साथ दिल्ली-एनसीआर के बॉर्डर पर धरना प्रदर्शन के लिए बैठे हैं. बावजूद इसके गाजीपुर बॉर्डर पर गिनती भर के किसान प्रदर्शनकारी बचे हैं. किसान ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के बाद प्रदर्शनकारियों की तादाद में भी कमी आती गई, जो अब जारी है.