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क्या बूस्टर डोज के तौर पर मिलेगी नैजल वैक्सीन? बैठक में हो सकता है फैसला

भारत बायोटेक ने अपनी नैजल वैक्सीन BBV154 को पहले से वैक्सीनेटेड लोगों में बूस्टर डोज के तौर पर उपयोग करने का प्रस्ताव दिया है

Updated on: 04 Jan 2022, 09:31 AM

highlights

  • नैजल वैक्सीन नाक से दी जाने वाली वैक्सीन है
  • बूस्टर डोज के रूप में उपयोग में लाने का प्रस्ताव दिया है
  • वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल ढाई हजार ऐसे लोगों पर होगा

नई दिल्ली:

कोरोना वायरस (Coronavirus) के ओमिक्रॉन वेरिएंट (Omicron Variant) के बढ़ते खतरे को देखते हुए भारत-बायोटेक (Bharat Biotech) की नैजल वैक्सीन (Nasal Vaccine) पर बड़ा फैसला लिया जा सकता है. गौरतलब है कि ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी (SEC) की मुद्दे पर जल्द बड़ी बैठक होने वाली है. बैठक में SEC विचार कर सकती है कि क्या भारत बायोटेक की नैजल वैक्सीन को बूस्टर डोज (Booster Dose) के तौर पर उपयोग में लाया जाए. भारत बायोटेक ने उसकी नैजल वैक्सीन को बूस्टर डोज के रूप में उपयोग में लाने का प्रस्ताव दिया है. ये बूस्टर डोज उन्हें दिया जाएगा, जिन्होंने पहले कोविशील्ड या कोवैक्सीन की वैक्सीन ले रखी है.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कमेटी की बैठक मंगलवार यानी आज हो सकती है.  दरअसल अपने आवेदन में भारत बायोटेक ने अपनी नैजल वैक्सीन BBV154 को पहले  से वैक्सीनेटेड लोगों में बूस्टर डोज के तौर पर उपयोग करने का प्रस्ताव दिया है. भारत बायोटेक का लक्ष्य है कि इस वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल ढाई हजार ऐसे लोगों पर होगा, जिन्होंने कोविशील्ड ली है, वहीं ढाई हजार ऐसे लोगों पर किया जाएगा जिन्होंने पहले कोवैक्सीन ले रखी है.  

बच्चों में बताया था सुरक्षित

भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड (बीबीआईएल) ने पहले ही घोषणा की थी कि उसके द्वारा निर्मित कोवैक्सिन (बीबीवी152) बाल चिकित्‍सा विषयों में सुरक्षित, अच्छी तरह से सहन करने योग्य और इम्युनोजेनिक है. इसके लिए दूसरे और तीसरे चरण का भी अध्‍ययन किया गया था. वैक्सीन निर्माता ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा था कि भारत बायोटेक ने 2-18 आयुवर्ग के स्वस्थ बच्चों और किशोरों में कोवैक्सिन की इम्युनोजेनेसिटी का मूल्यांकन करा था. ऐसा करने पर दूसरे और तीसरे फेज में ओपन-लेबल और बहुकेंद्र अध्ययन आयोजित किए थे.

WHO ने दी थी बूस्टर डोज की सलाह

दिसंबर माह की शुरुआत में ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बूस्टर डोज लेने आह्वान किया था. संगठन का कहना है कि सबसे पहले ऐसे लोगों को बूस्टर डोज दी जाए, जिनकी प्रतिरोधक क्षमता कम है. इसके साथ नए वेरिएंट के बढ़ते खतरे को देखते हुए एंटीबॉडीज में कमी को बढ़ाने के लिए बूस्टर शॉट्स लेना चाहिए.

क्या है नैजल वैक्सीन?

नैजल वैक्सीन नाक से दी जाने वाली वैक्सीन है. इसका लक्ष्य डोज को सीधे सांस के रास्ते तक पहुंचाना होता है. बीते साल, वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीन का निर्माण किया था. इजेक्शन के बजाय ये डोज नाक के जरिए दिया जा सकेगी. चूहे में संक्रमण की रोकथाम में ये प्रभावी रही थी. एक रिसर्च में बताया गया था कि नाक के जरिए डिलीवरी संक्रमण के शुरुआती जगह को निशाना बनाता है.

नैजल वैक्सीन के फायदे?

वैज्ञानिकों के मुताबिक, इंट्रानासल वैक्सीन का फायदा ये है कि ये वायरस के दाखिले की जगह यानी नाक पर मजबूत इम्यून रिस्पॉन्स तय करता है. इससे वायरस और ट्रांसमिशन के खिलाफ सुरक्षा में मदद मिलती है. अगर कोरोना वायरस को दाखिले की इस जगह पर रोका जाए, तो ये क्षति पहुंचाने के लिए फेफड़े तक पहुंचने में सक्षम  नहीं होगा.