बेस्ट बसों की हड़ताल पर बॉम्बे हाईकोर्ट में चल रहे सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने मामले पर अबतक कोई समाधान नहीं निकलने पर सभी पार्टियों को फटकार लगाई है. जज ने कहा कि हमने आपको एक कमेटी बनाकर इसपर कोई समाधान निकालने के निर्देश दिए थे लेकिन इसके बावजूद इसपर कोई समाधान नहीं निकल पाया और इसके कारण शहर के लाखों यात्री परेशान हैं. अदालत ने यूनियन से भी कहा कि अगर हम आपसे कुछ नहीं कह रहे हैं तो इसका यह मतलब नहीं है कि आप अपनी हड़ताल जारी रखेंगे.
बीएमसी ने कहा कि यह करोड़ों रुपयों की बात है इसपर कोई निर्णय लेने के लिए समय लगेगा. यूनियन हड़ताल जारी रखकर हमपर दबाव बनाने की कोशिश नहीं कर सकता. अदालत ने सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद तीन बजे अधिवक्ता जनरल को अदालत में क्लेश होकर इस पूरे मामले पर राज्य सरकार की भूमिका साफ करने की निर्देश दिए हैं.
BEST strike matter: Bombay High Court observes that BEST union is not negotiating properly and also violating the court orders. BEST union informs the court that they are compelled to be on strike as BEST is not ready to accept their demands.
— ANI (@ANI) January 14, 2019
अब इस मामले में आगे की सुनवाई दोपहर तीन बजे होगी. बता दें कि बॉम्बे हाई कोर्ट में बेस्ट बसों की हड़ताल के विरोध में याचिका दायर की गई थी. जिसके बाद कोर्ट ने समिति गठित कर सोमवार तक रिपोर्ट देने का निर्देश दिया था.
शनिवार को राज्य के मुख्य सचिव, परिवहन सचिव और नगर विकास सचिव की अध्यक्षता में बीएमसी, बेस्ट कर्मचारी यूनियन और बेस्ट प्रशासन ने अपना पक्ष रखा और उसी आधार पर रिपोर्ट तैयार की, जिसे कोर्ट में सौंपा गया.
सातवें दिन भी जारी है बेस्ट बस की हड़ताल
बता दें कि बृहन्मुंबई इलेक्ट्रिसिटी सप्लाइ ऐंड ट्रांसपॉर्ट (BEST) के बस कर्मचारियों की हड़ताल मुंबई में सातवें दिन भी जारी है. इस वजह से मुंबईकरों को काफी परेशानी का सामना कर पड़ रहा है. गौरतलब है कि रोजाना 29 लाख यात्री बेस्ट बसों में यात्रा करता है लेकिन लगातार सातवें दिन भी हड़ताल होने की वजह से लोगों को आवाजाही में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
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हड़ताल के पीछे यूनियन की मांग है कि बेस्ट के बजट का बीएमसी के बजट में विलय किया जाए लेकिन बीएमसी इसे मानने से इंकार कर रही है. वहीं जूनियर ग्रेड के कर्मचारियों की पदोन्नति दूसरा अहम मुद्दा है लेकिन प्रशासन इसके लिए भी राजी नहीं है. वहीं कर्मचारी यूनियन भी अपनी मांगों पर अड़ी हुई है.
Source : Pankaj Mishra