चौथी औद्योगिक क्रांति हमारे दरवाजे पर दस्तक दे रही है और इसका सर्वोत्तम लाभ उठाने के लिए हमारे विश्वविद्यालयों को छात्रों को 5जी प्रौद्योगिकियों, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स और जैव प्रौद्योगिकी जैसे उभरते क्षेत्रों में प्रशिक्षित करना चाहिए। यह बात सोमवार को उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कही।
उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडु ने सोमवार को उच्च शिक्षा संस्थानों और विश्वविद्यालयों से अपने मौजूदा पाठ्यक्रमों की समीक्षा करने और उन्हें उभरते वैश्विक रुझानों के साथ संरेखित करने या राष्ट्रीय आवश्यकताओं के अनुरूप नए पाठ्यक्रम शुरू करने का आह्वान किया।
बेंगलुरू में पीईएस विश्वविद्यालय के छठे दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने यह बातें कहीं।
अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में ड्रोन प्रौद्योगिकी द्वारा प्रदान किए जाने वाले जबरदस्त लाभों की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए, नायडू ने कहा कि भारत, नवाचार, आईटी और लागत प्रभावी इंजीनियरिंग में अपनी पारंपरिक ताकत के साथ, वैश्विक ड्रोन हब बनने की क्षमता रखता है। इस संबंध में उन्होंने इस क्षेत्र के लिए कुशल जनशक्ति बनाने का आह्वान किया और खुशी व्यक्त की कि पीईएस विश्वविद्यालय सक्रिय रूप से ड्रोन प्रौद्योगिकी पर पाठ्यक्रम शुरू करने पर विचार कर रहा है।
निजी कंपनियों के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र को खोलने के सरकार के फैसले की प्रशंसा करते हुए उपराष्ट्रपति ने डीआरडीओ और इसरो के सहयोग से दो उपग्रहों के निर्माण और प्रक्षेपण के लिए पीईएस विश्वविद्यालय की सराहना की। उन्होंने कहा, मैं अपने निजी संस्थानों और विश्वविद्यालयों से इस अवसर का सर्वोत्तम उपयोग करने और अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर और तकनीकी रूप से उन्नत बनाने की दिशा में काम करने का आग्रह करूंगा।
इस अवसर पर नायडु ने डॉ. वी संबाशिव राव को भी सम्मानित किया जिन्होंने दो उपग्रहों के प्रक्षेपण में छात्रों का मार्गदर्शन किया है।
उपराष्ट्रपति ने आरएंडडी के लिए एक बहु-विषयक ²ष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया और विश्वविद्यालयों से कहा कि वे अर्थव्यवस्था और उद्योग को बढ़ावा देने के लिए अकादमिक पेटेंट के बजाय बौद्धिक संपदा अधिकारों (आईपीआर) के तहत कार्यान्वयन योग्य पेटेंट पर अधिक जोर दें।
यह देखते हुए कि विदेशी लेखकों द्वारा प्रकाशित कई तकनीकी पुस्तकें भारतीय इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों में उपयोग की जाती हैं, उन्होंने भारतीय शिक्षाविदों को समकालीन विषयों पर वैश्विक मानकों की पुस्तकें लिखने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, भारतीय लेखक भारतीय सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों के संबंध में इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम की सामग्री को बेहतर ढंग से संदर्भित कर सकते हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि इससे युवा छात्रों को ग्रामीण भारत, किसानों और अन्य वंचित समूहों के सामने आने वाली कई समस्याओं को बेहतर ढंग से समझने और समाधान खोजने में मदद मिलेगी। उन्होंने भारतीय भाषाओं में अध्ययन सामग्री तैयार करने और अकादमिक पत्रिकाओं के स्वदेशी प्रकाशन का भी आह्वान किया।
सामाजिक रूप से प्रासंगिक अनुसंधान और प्रौद्योगिकियों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, उपराष्ट्रपति ने विश्वविद्यालयों से जलवायु परिवर्तन और सतत विकास जैसे वैश्विक प्राथमिकता वाले मुद्दों पर काम करने को कहा। उन्होंने कहा, हम अक्सर भारतीय शहरों में बढ़ते प्रदूषण के बारे में समाचार रिपोर्ट पढ़ते हैं, मैं अपने शैक्षणिक संस्थानों से समाज के सामने आने वाली ऐसी गंभीर समस्याओं, विशेषकर कृषि में तकनीकी समाधान के साथ आने का आग्रह करूंगा।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रभावी कार्यान्वयन का आह्वान करते हुए, नायडू ने विश्वविद्यालयों को छात्रों की मातृभाषा में अधिक तकनीकी पाठ्यक्रम शुरू करने की सलाह दी।
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Source : IANS