प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में मंत्री पद का ओहदा मिलने के बाद भी आराम नहीं मिल पाएगा. वजह है मंत्रियों के कामकाज के रवैये पर पीएमओ की पैनी नजर और जल्द से जल्द काम को पूरा करने का दबाव. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तय समय से पहले काम पूरा करने या कराने को लेकर जाने जाते रहे हैं.
गुजरात के भुज में जब भूकंप आया था और पूरा भुज तबाह हो गया था, तब तय समय से पहले ही तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने नया भुज बसा दिया था. इसलिए पीएम नरेंद्र मोदी के साथ काम करने के दौरान मंत्री अगर सोचते हैं कि उन्हें आरामतलब जिंदगी हासिल हो जाएगी, तो यह उनकी गलतफहमी है.
काम को लेकर पैनी नजर की बात इससे ही साबित हो जाती है कि चुनाव जीतने से पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी मंत्रालयों के अधिकारियों से 100 दिन का एक्शन प्लान बनाने को निर्देश दे दिया था. मंत्रालय के अधिकारी इस काम में जुट भी गए थे.
चुनाव जीतने के बाद जब बीजेपी कार्यालय में पीएम नरेंद्र मोदी का अभिनंदन हुआ था, तब पीएम मोदी ने उन मंत्रालय के अधिकारियों को तलब कर एक्शन प्लान पर चर्चा भी की थी. काम को लेकर उनके समर्पण को लेकर अधिकारी भी दंग थे. अधिकारियों का कहना था कि जीत के जश्न के बीच प्रधानमंत्री का एक्शन प्लान पर चर्चा करना दंग करने वाला था.
आम तौर पर जीत के बाद नेता, मंत्री या मुख्यमंत्री 5 साल तक के लिए निश्चिंत हो जाते हैं और काम तो हो ही जाएगा, इस रवैये पर चलते हैं. वहीं पीएम नरेंद्र मोदी जीतने से पहले ही काम में लगे हुए थे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अधिकारियों से कहा कि वे बीजेपी की घोषणापत्र के हिसाब से अपना एक्शन प्लान बनाएं, ताकि पार्टी की नीतियों को लागू करने में आसानी हो सके. माना जा रहा है कि कैबिनेट की बैठक के दौरान अधिकारियों के एक्शन प्लान पर चर्चा की जाएगी और उसे अमल में लाने के लिए योजना बनेगी.
HIGHLIGHTS
- 100 दिन का बन चुका है मास्टर प्लान
- मंत्रियों के कामकाज पर रहेगी PMO की पैनी नजर
Source : News Nation Bureau