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Indian Navy के सबमरीन प्रोजेक्ट P-75I से फ्रेंच नेवल ग्रुप ने किया खुद को अलग

भारतीय नौसेना के लिए ये बेहद अहम प्रोजेक्ट है. जिसमें 6 डीजल चालित आधुनिक पनडुब्बियां बनाई जानी है. लेकिन इसकी शर्तें इतनी कड़ी हैं कि अबतक तीन कंपनियां इससे पीछे हट चुकी हैं. अब चौथी कंपनी ने भी इससे अपने हाथ पीछे खींच लिये हैं.

Updated on: 03 May 2022, 04:20 PM

highlights

  • भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट से हटा फ्रेंच ग्रुप
  • प्रोजेक्ट 75-आई के तहत बनने हैं 6 सबमरीन
  • दक्षिण कोरियाई कंपनी पूरा कर पाएगी प्रोजेक्ट?

नई दिल्ली:

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन दिन के यूरोप दौरे पर हैं. पहले दिन वो जर्मनी में रहे, दूसरे दिन डेनमार्क में हैं और तीसरे दिन वो फ्रांस का दौरा करेंगे, जहां उनकी मुलाकात फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से होगी. इस मुलाकात पर पूरी दुनिया की नजर है, लेकिन इससे पहले ही बड़ी खबर सामने आ रही है कि फ्रांस की नेवल ग्रुप कंपनी ने भारत के ऐसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट से खुद को अलग कर लिया है, जिसपर पूरी दुनिया की नजर थी. फ्रेंच नेवल ग्रुप ने भारत के सबमरीन प्रोजेक्ट 75I से खुद को अलग कर लिया है, जिसके तहत भारतीय नौसेना को 6 डीजल चालित अत्याधुनिक पनडुब्बियां मिलनी थी.

भारतीय जरूरतों को पूरा नहीं कर पाई, तो पीछे हटी फ्रेंच कंपनी

भारतीय नौसेना के लिए ये बेहद अहम प्रोजेक्ट है. जिसमें 6 डीजल चालित आधुनिक पनडुब्बियां बनाई जानी है. लेकिन इसकी शर्तें इतनी कड़ी हैं कि अबतक तीन कंपनियां इससे पीछे हट चुकी हैं. अब चौथी कंपनी ने भी इससे अपने हाथ पीछे खींच लिये हैं. ये पूरा प्रोजेक्ट करीब 43,000 करोड़ रुपये का है. लेकिन फ्रेंच नेवल ग्रुप ने कह दिया है कि वो इस प्रोजेक्ट के लिए प्रपोजल फॉर रिक्वेस्ट (आरएफपी) की शर्तों को पूरा नहीं कर सकता है और इसलिए, अपनी बोली को जारी नहीं रखेगा. 

भारत के लिए बेहद अहम है ये प्रोजेक्ट

भारतीय नौसेना का पी-75 प्रोजेक्ट बेहद सफल रहा. इस प्रोजेक्ट के तहत स्कॉर्पियन क्लास की 6 पनडुब्बियां बनाई जानी थी, जिसमें से 4 पूरी होकर नौसेना में शामिल हो चुकी हैं, दो ट्रायल के आखिरी चरण में हैं और जल्द ही नौसेना को मिल जाएंगी. ये पनडुब्बियां भारतीय नौसेना के लिए कलवरी क्लास के तहत बनाई गई हैं. इसी प्रोजेक्ट का अपग्रेडेड प्रोजेक्ट है पी-75I, जिसके तहत और भी नई तकनीकी से लैस 6 पनडुब्बियां भारतीय नौसेना के लिए बनाई जानी हैं. इस प्रोजेक्ट के लिए 5 विदेशी कंपनियों को शॉर्ट लिस्टेड किया गया था, जिसमें तीन कंपनियों ने भारतीय नौसेना की जरूरतों को पूरा न कर पाने का हवाला देते हुए खुद को प्रोजेक्ट से अलग कर लिया था. अब तक फ्रांस और दक्षिण कोरिया की कंपनी ही इस प्रोजेक्ट की दौड़ में थी, लेकिन फ्रेंच कंपनी के 29 अप्रैल को ही प्रोजेक्ट से अलग होने के बाद अकेले दक्षिण कोरियाई कंपनी ही काम पाने की दौड़ में है. 

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पी-75I की खासियत क्या है?

ये डीजल चालित सुपर पनडुब्बियां होंगी, जो अब तक की सबसे ताकतवर पनडुब्बियां होंगी. इन्हें एयर इंडिपेंडेंट प्रॉपल्शन(एआईपी), आईएसआर, स्पेशल ऑपरेशंस फोर्स (एसओएफ), एंटी-शिप वॉफेयर(एएसएफडब्ल्यू), एंटी सब-मरीन वारफेयर(एएचडब्ल्यू), एंटी-सरफेस वॉरफेयर और लैंड अटैक ताकतों से लैस किया जाना था. ये सभी पनडुब्बियां मेक इन इंडिया के तहत भारत में ही बनाई जानी हैं, जिसके लिए एल एंड टी शिपबिल्डिंग और मजगांव डॉक शिपबिल्डर्स को चुना गया है.