उद्धव ठाकरे सरकार की मुश्किलें बढ़ीं, डिप्टी सीएम पद पर कांग्रेस-एनसीपी में रार
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में बनी सरकार की मुश्किलें हर गुजरते दिन के साथ बढ़ रही है. शनिवार को बहुमत साबित करने से पहले डिप्टी सीएम और स्पीकर के पद को लेकर कांग्रेस और एनसीपी लगभग आमने-सामने आ गई हैं.
highlights
- डिप्टी सीएम-स्पीकर को लेकर कांग्रेस और एनसीपी आमने-सामने.
- एनसीपी डिप्टी सीएम का पद अपने पास रखना चाहती है.
- मंत्रियों के विभागों के बंटवारे को लेकर भी एकराय नहीं.
Mumbai:
महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में बनी सरकार की मुश्किलें हर गुजरते दिन के साथ बढ़ रही है. शनिवार को बहुमत साबित करने से पहले डिप्टी सीएम और स्पीकर के पद को लेकर कांग्रेस और एनसीपी लगभग आमने-सामने आ गई हैं. बताते हैं कि इस 'टसल' समेत पोर्टफोलियों के बंटवारे की पहेली को सुलझाने के लिए फ्लोर टेस्ट की कवायद को शनिवार को पूरा करने का फैसला किया गया. इस बाधा को पार करते ही यह तय हो जाएगा कि छह माह तक सरकार को कोई खतरा नहीं रहेगा. अन्यथा उद्धव सरकार को बहुमत हासिल करने के लिए 3 दिसंबर तक का वक्त दिया गया था. शरद पवार और अजित पवार पहले ही संकेत दे चुके हैं कि कांग्रेस से कुछ मसलों पर उनकी एक राय नहीं बन पा रही है. ऐसे में इन पेंचों को खोलने के लिए जरूरी वक्त हासिल करने की वजह से भी फ्लोर टेस्ट मियाद से पहले कराया जा रहा है.
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शरद पवार डिप्टी सीएम एनसीपी का चाहते हैं
सूत्रों की मानें तो शरद पवार अपने कुनबे और गठबंधन सरकार में संतुलन साधने के लिए डिप्टी सीएम पद अपने पास ही रखना चाहते हैं. इसके उलट कांग्रेस दो डिप्टी सीएम पद बनाने की पक्षधर है. शरद पवार का भी यही मत है कि फ्लोर टेस्ट हो जाने के बाद पोर्टफोलियो और डिप्टी सीएम पद को लेकर चल रही खींचतान को साधने का मौका मिल जाएगा. साथ ही में वह स्पीकर पद भी चाहती है. फिलहाल एनसीपी के वरिष्ठ नेता दिलीप वल्से पाटिल प्रोटेम स्पीकर बतौर फ्लोर टेस्ट की प्रक्रिया पूरी कराएंगे. इसके पहले विधान भवन में महा विकास अघाड़ी की एक बैठक हुई. इसमें पेंच-ओ-खम वाले मुद्दों पर चर्चा समेत स्पीकर कौन होगा, इस पर भी बात हुई. साथ ही पोर्टफोलियो वितरण में भी राय-शुमारी की गई.
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अजित पवार भी साफ कर चुके हैं अपना रुख
गौरतलब है कि अजित पवार शुक्रवार को साफ कर चुके हैं कि डिप्टी सीएम का पद एनसीपी के पास ही रहेगा. अगर देखा जाए तो एनसीपी में भी डिप्टी सीएम पद को लेकर राजनीति कम नहीं है. उद्धव ठाकरे के सीएम बतौर शपथ लेने के साथ ही जयंत पाटिल ने भी मंत्री पद की शपथ तो ली थी, लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया गया था कि वह डिप्टी सीएम पद के दावेदार हैं. इस तरह शरद पवार ने डिप्टी सीएम पद को लेकर अपने विकल्प खुले रखे थे. बताते हैं कि वह अजित पवार को डिप्टी सीएम बनाने के पक्षधर हैं ताकि कुनबे के साथ-साथ एनसीपी की अंदरूनी सियासत को साधे रखा जाए. खासकर इस आलोक में कि अजित पवार ने देवेंद्र फडणवीस को समर्थन देते वक्त डिप्टी सीएम पद की शपथ ली थी. ऐसे में शरद पवार उन्हें डिप्टी सीएम बनाकर भविष्य में किसी तरह के विद्रोह और पार्टी में फूट की आशंका हमेशा के लिए खत्म करना चाहते हैं.
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पहले तय हुआ था यह फॉर्मूला
सूत्रों के मुताबिक गठबंधन से सरकार बनाने की बातचीत के दौरान ही तीनों दलों के बीच एक सहमति बनी थी. इसके मुताबिक शिवसेना का सीएम, एनसीपी का डिप्टी सीएम और कांग्रेस का विधानसभा स्पीकर रहेगा. इसी फॉर्मूले के तहत कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चव्हाण को स्पीकर पद का ऑफर दिया गया था. यह अलग बात है कि चव्हाण ने यह ऑफर खारिज कर दिया. इसकी वजह यह बताई कि वह सीएम रह चुके हैं, जो प्रोटोकॉल में स्पीकर से ऊपर होता है, इसलिए वह यह पद नहीं लेंगे. हालांकि यहां भी कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति काम कर रही है. कांग्रेस के वरिष्ठ मंत्रियों में महत्वपूर्ण पोर्टपोलियों और विभागों पर कब्जे को लेकर एक छिपी होड़ चल रही है.
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कांग्रेस ने फंसाया पेंच
इस बीच स्पीकर और 12 मंत्रियों के लिए राजी हो चुकी कांग्रेस ने डिप्टी सीएम पर दावेदारी फिर से जता कर गठबंधन की अंदरूनी सुगबुगाहट और तेज कर दी है. एनसीपी इस पर राजी नहीं है. कांग्रेस का एक खेमा यह भी कह रहा है कि स्पीकर के बदले एनसीपी अपने दो डिप्टी सीएम रख सकती है. इस खेमे का तर्क भी बेहद साफ है कि इस प्रस्ताव को मानकर कांग्रेस जयंत पाटिल और अजित पवार दोनों को ही खुश रख सकेगी. हालांकि इस मसले पर बहुमत परीक्षण से पहले शनिवार सुबह साढ़े नौ बजे विधानभवन में बुलाई गई शिवसेना-कांग्रेस और एनसीपी विधायकों की बैठक में भी चर्चा हो सकती है.
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कांग्रेस में कम नहीं मारामारी
अगर विधानसभा का अध्यक्ष पद एनसीपी ने लिया, तो कांग्रेस में मंत्री पद के लिए किसकी लॉटरी लगेगी, यह एक बड़ा सवाल है. गौरतलब है कि बुधवार को शिवाजी पार्क में आयोजित उद्धव ठाकरे के सीएम बतौर शपथ लेते वक्त कांग्रेस ने अपने तमाम वरिष्ठ नेताओं को पीछे कर अपेक्षाकृत कम वरिष्ठ नेता नितिन राउत को शपथ दिलाई है. यह तब है जब कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री और दिग्गज मराठा नेता अशोक चव्हाण नई गठबंधन सरकार में शपथ की तैयारी में थे. यह अलग बात है कि उनके धुर विरोधी नितिन राउत का नंबर लग गया.
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