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नोटबंदी के बाद बैंकों में जमा हुए 10 लाख रुपये तो IT करेगी जांच

नोटबंदी के बाद कालाधन रोकने के लिए आयकर विभाग कई तरह की नकेल कस रही है। अब आईटी ने बैंकों से उन खाताधारकों की रिपोर्ट मांगी है जो हर साल 10 लाख रुपये या उससे अधिक बैंकों में जमा करते हैं।

Updated on: 19 Jan 2017, 06:46 PM

highlights

  • आईटी ने, 10 लाख या उससे अधिक रुपये जमा कराने वाले बैंक ग्राहकों की मांगी रिपोर्ट
  • क्रेडिट कार्ड का भुगतान एक लाख रुपये से अधिक नकद में करने पर आईटी करेगी जांच

नई दिल्ली:

नोटबंदी के बाद कालाधन रोकने के लिए आयकर विभाग (आईटी) कई तरह की नकेल कस रही है। अब आईटी ने बैंकों से उन खाताधारकों की रिपोर्ट मांगी है जो हर साल 10 लाख रुपये या उससे अधिक बैंकों में जमा करते हैं। साथ ही आईटी ने बैंकों से क्रेडिट कार्ड और कोई अन्य बिलों का नकद भुगतान किये जाने वाले ग्राहकों की रिपोर्ट मांगी है।

खबर है कि नोटबंदी के बाद जिन लोगों के बैंक खातों में सीमा से अधिक रकम जमा हुई है उन्हें विभाग अगले 15 दिनों के भीतर नोटिस भेजकर उस धन का स्रोत पूछेगा। विभाग को मिले आंकड़ों के मुताबिक नोटबंदी के एलान के बाद 1.5 लाख बैंक खातों में 10 लाख रुपए या उससे ज्यादा की रकम जमा कराई गई है। 

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने अधिसूचना में कहा है कि एक वित्त वर्ष में किसी व्यक्ति से 10 लाख रुपये से अधिक की शेयर खरीद की सूचना सूचीबद्ध कंपनी को देनी होगी। इसके अलावा 10 लाख रपये की विदेशी मुद्रा ट्रैवलर्स चेक या फॉरेक्स कार्ड सहित की जानकारी भी कर अधिकारियों को देनी होगी।

सीबीडीटी की 17 जनवरी की अधिसूचना में कहा गया है कि इस प्रक्रिया के लिए ई-प्लेटफॉर्म स्थापित किया गया है। साथ ही सीबीडीटी ने बैंकों से 9 नवंबर से 30 दिसंबर, 2016 के दौरान एक व्यक्ति के एक या अधिक खातों में ढाई लाख रुपये या अधिक की जमा की सूचना देने को कहा है। इस संबंध में सीबीडीटी नवंबर 2016 में भी आदेश दे चुकी है।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर को 500 और 1000 रुपये के नोट पर प्रतिबंध की घोषणा की थी। जिसके बाद सरकार ने पुराने नोटों को जमा कराने के लिए 50 दिन का समय दिया था।

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