बीएचयू अपने 107वें स्थापना दिवस पर प्रतिदान महामना वार्षिक कोष नामक आर्थिक योगदान की शुरूआत कर रहा है।
बीएचयू का कहना है कि विश्वविद्यालय को अपने नियमित संचालन के लिए सरकार से उदार वार्षिक सहयोग प्राप्त हो रहा है, लेकिन दुनिया के महानतम विश्वविद्यालयों की श्रेणी में शामिल होने की अपनी महत्वाकांक्षा को साकार करने के लिए बीएचयू को अपने पुरातन छात्रों और समर्थकों का उदार एवं भरपूर योगदान चाहिए।
प्रतिदान 2022 के अंतर्गत मिले योगदान से मेधावी छात्रों के लिए छात्रवृत्ति, छात्रों को आवश्यकता-आधारित वित्तीय सहायता दी जाएगी। सीखने के अवसरों को बढ़ाने, शिक्षण में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने, शोध को सक्षम बनाने के साथ-साथ बीएचयू में शैक्षणिक तथा सह-पाठ्यचर्या गतिविधियों एवं सामुदायिक जीवन को मजबूती प्रदान करने की सुविधाओं को और विकसित किया जाएगा।
दान-कतार्ओं के पास अपनी रुचि के कार्यक्रमों के लिए वित्तीय सहायता देने का विकल्प भी होगा। बीएचयू को दिए जाने वाले समस्त दानराशि भारत की आयकर नियमावली की धारा 80जी के तहत पूर्णतया कर मुक्त हैं।
अभियान का शुभारम्भ करते हुए कुलपति, प्रो सुधीर कुमार जैन ने कहा कि महामना की अप्रतिम सोच और उत्साह के परिणामस्वरूप उदार दानदाताओं के सहयोग से सौ वर्ष से भी अधिक पूर्व काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना की गई थी। महामना को इस बात पर अत्यंत गर्व होता कि उन्होंने जिस संस्थान को खड़ा किया, वह आज एशिया के सबसे बड़े आवासीय विश्वविद्यालय और भारत के सबसे पुराने तथा उच्च शिक्षा के सर्वाधिक प्रतिष्ठित संस्थानों में से एक के रूप में स्थापित है। कुलपति ने कहा कि महामना को इससे बड़ी श्रद्धांजलि और क्या हो सकती है कि निस्वार्थ सेवा के उनके विचार एवं भाव को आगे बढ़ाया जाए, जो विश्वविद्यालय की स्थापना के मूल में था।
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के छात्रों ने कला, साहित्य, शासन, नीति, शिक्षा, कानून, कृषि, विज्ञान, अभियांत्रिकी और चिकित्सा जैसे विविध क्षेत्रों में ख्याति अर्जित की है। प्रो. जैन ने उम्मीद जताई कि आने वाले वर्षों में अपनी विकास यात्रा में संस्थान अपने पुरातन छात्रों के समय, प्रतिभा, प्रयासों एवं योगदान के साथ-साथ अपने शुभचिंतकों से भी लाभान्वित होगा।
विश्वविद्यालय कि विकास गाथा में भागीदार बनने के इच्छुक पुरा छात्रों, शुभचिंतकों व दानकतार्ओं की सहूलियत के लिए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने प्रतिदान के लिए एक नया बैंक खाता खुलवाया है। जिसमें कोई भी न सिर्फ भारत बल्कि विश्व के किसी भी हिस्से से आर्थिक योगदान दे सकता है। दानकर्ता विश्वविद्यालय की वेबसाइट के लिंक पर क्लिक कर अपनी मातृ संस्था के लिए दान एवं योगदान कर सकते हैं। इस लिंक पर भारत से दान करने वालों, भारत से बाहर से दान करने वालों एवं वार्षिक दान के साथ साथ भुगतान के विभिन्न विकल्प दिये गए हैं।
4 फरवरी, 1916 को स्थापित, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय एशिया का सबसे बड़ा आवासीय और भारत के सबसे पुराने एवं अकादमिक रूप से सर्वाधिक विविधतापूर्ण और प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में से एक है। यह एनआईआरएफ 2021 विश्वविद्यालय रैंकिंग में तीसरे स्थान पर है और भारत सरकार द्वारा उत्कृष्ट संस्थान के रूप में मान्यता प्राप्त मात्र 12 संस्थानों में से एक है।
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Source : IANS