बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में एमए इन हिन्दू स्टडीज, हिन्दू अध्ययन पाठ्यक्रम शुरू किया गया है। यह कार्यक्रम 18 जनवरी मंगलवार को ही प्रारंभ किया गया है। बीएचयू ने इसे महामना पं. मदनमोहन मालवीय की संकल्पना के अनुरूप बताया है। इसका सूत्र 18वीं सदी के विद्वान पं. गंगानाथ झा से प्रारम्भ होते हुए महामना मालवीय जी की संकल्पना में रूपांतरित होता है।
अन्तर्वैषयिक यह पाठ्यक्रम विश्वविद्यालय के इतिहास में पहली बार संचालित किया जा रहा है। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के रेक्टर प्रोफेसर विजय कुमार शुक्ल ने हिन्दू अध्ययन पाठ्यक्रम को महामना पं. मदनमोहन मालवीय की संकल्पना के अनुरूप बताते हुए इसकी महत्ता को रेखांकित किया।
विशिष्ट अतिथि के रूप में इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, वाराणसी के निदेशक डॉ. विजय शंकर शुक्ल ने हिन्दू अध्ययन पाठ्यक्रम के महžव को स्थापित करते हुए बताया कि इसका सूत्र 18वीं सदी के विद्वान पं. गंगानाथ झा से प्रारम्भ होते हुए महामना मालवीय जी की संकल्पना में रूपांतरित होता है लेकिन किन्हीं कारणों से यह क्रम टूट गया था जो आज इस पाठ्यक्रम के माध्यम से पूर्णता को प्राप्त हो रहा है।
महात्मा गाँधी अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा के कुलाधिपति एवं भारत अध्ययन केन्द्र के शताब्दी पीठ आचार्य प्रो. कमलेश दत्त त्रिपाठी ने कहा कि हिन्दू धर्म में ऋत्, व्रत, सत्य आदि धर्म के ही पर्याय हैं। हिन्दू अध्ययन का यह पाठ्यक्रम इनको अद्यतन संदर्भों से जोड़ने का उपक्रम है। हिन्दू धर्म सतत गतिशील युक्तिपूर्ण एवं एक वैज्ञानिक पद्धति है।
भारत अध्ययन केन्द्र की शताब्दी पीठाचार्य प्रो. मालिनी अवस्थी ने धर्मो रक्षति रक्षित को संदर्भित करते हुए विद्वान योद्धाओं के निर्माण की आवश्यकता पर बल दिया जो सनातन परम्परा पर हो रहे कुठाराघातों को रोक सकें। शताब्दी पीठ आचार्य प्रो. राकेश कुमार उपाध्याय ने इस पाठ्यक्रम को सनातन जीवन मूल्यों के निर्माण के लिए महžवपूर्ण बताया तथा प्रो. युगल किशोर मिश्र ने गायत्री मंत्र के माध्यम से हिन्दू धर्म में वैज्ञानिकता को प्रमाणित किया।
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में इस शैक्षणिक सत्र से हिन्दू अध्ययन में संचालित हो रहे नए परास्नातक पाठ्यक्रम का कुलगुरू प्रो.वी.के. शुक्ला ने उद्घाटन किया। प्रो. शुक्ला ने पाठ्यक्रम में देश भर से प्रवेश पाने वाले 45 विद्यार्थियों को शुभकामनाएं दी व उनके उज्जवल भविष्य की कामना की है। प्रो. शुक्ला ने कहा कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के शताब्दी वर्ष में स्थापित भारत अध्ययन केन्द्र में इस पाठ्यक्रम का संचालन नवोन्मेष का सूचक है। उन्होंने कहा कि ये पाठ्यक्रम नई शिक्षा नीति के सिद्धान्तों के अनुरूप अन्तर्वैषयिक भी है। प्रो.शुक्ला ने कहा कि पाठ्यक्रम हिन्दू धर्म से जुड़े विभिन्न पहलुओं से विश्व को अवगत कराएगा।
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Source : IANS