जगदीश शेट्टार और लक्ष्मण सावदी जैसे कद्दावर नेताओं के पार्टी छोड़ने से बौखलाई भारतीय जनता पार्टी ने अब बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने के कांग्रेस के वादे को उत्तर कर्नाटक में प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाया है।
संघ परिवार के सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने का कांग्रेस का प्रस्ताव इस संगठन की तुलना आतंकी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) से करने का स्पष्ट संकेत है।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार, संघ परिवार एक कहानी गढ़ रहा है कि कांग्रेस हिंदुओं के खिलाफ है और अगर वह कर्नाटक में जीतती है तो हिंदुओं के लिए परेशानियां पैदा होंगी, इसलिए कांग्रेस को रोकने के लिए हिंदुओं को भाजपा को वोट देना चाहिए।
उधर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता लोगों को यह समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि बजरंग दल की तुलना बजरंगबली (भगवान हनुमान) से नहीं की जा सकती। समाज में वैमनस्य फैलाने वाले उपद्रवी तत्वों की तुलना बजरंगबली से कर भाजपा हनुमानभक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंचा रही है।
कांग्रेस नेता और कर्नाटक के पूर्व सीएम वीरप्पा मोइली ने कहा है कि किसी भी संगठन पर प्रतिबंध लगाने की पहले से कोई योजना नहीं थी और इस प्रस्ताव को उच्चतम न्यायालय द्वारा सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नफरत फैलाने वाले भाषण देने वालों के खिलाफ मामला दर्ज करने के निर्देश की पृष्ठभूमि में लिया जा सकता है।
हुबली में रहने वाले आरएसएस के वरिष्ठ नेता ने आईएएनएस से कहा, बजरंग दल संघ परिवार का संगठन है। क्या कांग्रेस पार्टी और उसके नेताओं को नहीं पता है कि हम एक राष्ट्रवादी संगठन हैं और कभी भी हमारी तुलना पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया जैसे इस्लामी आतंकी संगठन से नहीं कर सकते। कांग्रेस किसी भी कीमत पर चुनाव जीतने की कोशिश कर रही है, लेकिन इस तरह के कदम राज्य के सांप्रदायिक ताने-बाने को प्रभावित करेंगे।
सूत्रों के मुताबिक, भगवान हनुमान के नाम पर एक संगठन पर प्रतिबंध लगाने के कांग्रेस के कदम पर भाजपा और संघ परिवार जमीनी स्तर पर जोरदार अभियान चला रहे हैं। संघ परिवार चुनाव से पहले सांप्रदायिक मुद्दों को उठाने की कोशिश करता रहा है।
उत्तर कर्नाटक में अपने कई गढ़ों में भाजपा बैकफुट पर है, वरिष्ठ नेताओं के बाहर निकलने और चालीस फीसदी कमीशन के आरोपों से भाजपा नेताओं को धारवाड़ जिले के गढ़वाड़ में भी अपेक्षित जन समर्थन नहीं मिल रहा है।
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी सहित वरिष्ठ नेता धारवाड़ में डेरा डाले हुए हैं और जिले में चुनाव का समन्वय कर रहे हैं, क्योंकि जोशी जानते हैं कि इस क्षेत्र में सीटें हारने से उनकी भविष्य की राजनीतिक संभावनाएं बड़े पैमाने पर प्रभावित होंगी।
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Source : IANS