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दिल्ली हिंसा में तबाही बरपाने के लिए 'बाहुबली' की तर्ज पर बनाए गए खतरनाक हथियार

दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच की दिल्ली दंगों (Delhi Violence) की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे बेहद चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं.

Updated on: 28 Feb 2020, 04:32 PM

highlights

  • दिल्ली को सांप्रदायिक आग में झोंकने की साजिश PFI ने रची.
  • पीएफआई को पाकिस्तानी खुफिया संस्था ISI का समर्थन हासिल था.
  • ताहिर हुसैन का घर हथियारों का गोदाम बतौर इस्तेमाल किया गया.

नई दिल्ली:

दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच की दिल्ली दंगों (Delhi Violence) की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे बेहद चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं. शुरुआती जांच में संकेत मिले हैं कि दिल्ली को सांप्रदायिक आग में झोंकने की साजिश पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) ने रची थी, जिसे पाकिस्तानी खुफिया संस्था आईएसआई (ISI) का समर्थन हासिल था. शुक्रवार को फोरेंसिक टीम ने आम आदमी पार्टी (AAP) के पार्षद ताहिर हुसैन (Tahir Hussain) के घर और फैक्ट्री की तलाशी ली, तो सैकड़ों पेट्रोल बम समेत तेजाब के पाउच, पत्थर फेंकने के लिए छोटी-बड़ी गुलेल समेत टनों की मात्रा में पत्थर मिले हैं. इसके अलावा सोशल मीडिया पर शाहरुख खान की फोटो तो वायरल हो ही चुकी है, जिसमें वह दिल्ली पुलिस (Delhi Police) के जवान पर पिस्तौल ताने दिख रहा है. हाथों लाठी-डंडों समेत धारदार हथियारों के साथ उपद्रवी भीड़ की तस्वीरें तो सामने आ ही चुकी हैं. अब तक 42 लोगों की मौत हो चुकी है और दो सौ से ज्यादा लोग घायल हैं. नालों का शवों को उगलना जारी है, जो बताता है कि दंगों में मारे गए लोगों की संख्या और बढ़ेगी. देखते हैं कि दिल्ली को दंगों की आग में झोंक मासूमों को मारने के लिए ककिस-किस तरह के हथियार इस्तेमाल में लाए गए.

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मोबाइल गुलेल
दिल्ली के शिव विहार इलाके में मिली मोबाइल गुलेल एक रिक्शे पर लोहे के एंगल को वेल्डिंग करके बनाई गई थी. मकसद साफ था इसे जहां चाहे वहां ले जाया जाए. साथ ही इसके जरिए पेट्रोल बम की बोतलें, बड़े-बड़े पत्थर या अन्य घातक चीजें दूर तक फेंकी जा सकती हैं. इस मोबाइल गुलेल की बरामदगी से साफ है कि किसी भारी चीज को दूर तक फेंकने के लिए ही यह गुलेल बनाई गई, वह भी रिक्शे के ऊपर.

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छोटी गुलेल
आप पार्षद ताहिर हुसैन के घर के जो वीडिय़ो वायरल हुए उसमें लोगों के हाथों में छोटी गुलेल भी देखी गईं. ये छोटी गुलेल किसी पर सटीक निशाना लगाकर उस पर जानलेवा हमला करने के लिए इस्तेमाल की गईं. इसके अलावा छत पर कई और छोटी गुलेल मिली, जिससे साफ होता है कि दंगाई पूरी तैयारी से थे. छत पर ही कई क्रेट पत्थर भी मिले, जो इन्हीं गुलेल से फेंके जाने के लिए इक्ट्ठा किए गए थे.

पेट्रोल बम
ताहिर हुसैन की बिल्डिंग की छत से जो चीजें बरामद हुई हैं, वो भी दिखाती हैं कि इन दंगाइयों के पास कैसे-कैसे हथियार थे. दंगाइयों के पास पेट्रोल बम भी थे, जिसे उन्होंने कोल्ड ड्रिंक की बोतलों में पेट्रोल भर कर बनाया था. ऐसी एक नहीं, बल्कि कई क्रेट बरामद की गई. इन्हीं के बल पर आसपास के वाहनों और मकानों-दुकानों में आग लगाई गई. बताया जा रहा है कि हिंसाग्रस्त इलाकों में पेट्रोल पंप को लूटकर बम बनाने में पेट्रोल-डीजल का उपयोग किया गया.

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तेजाब पाउच
किसी के ऊपर तेजाब गिर जाए, यह सोचकर ही रूह कांप उठती है. इसके बावजूद दिल्ली हिंसा के दंगाइयों ने तेजाब को भी बतौर हथियार इस्तेमाल किया. ताहिर हुसैन की बिल्डिंग की छत पर भी तेजाब के पाउच मिले हैं. इस तरह लोगों को निशाना बनाया गया. ताहिर हुसैन की छत के वायरल वीडियो के अलावा कई मीडिया घरानों की ओर से ताहिर हुसैन के घर का किया गया मुआयना बताता है कि दंगों में ताहिर हुसैन का घर हथियारों का गोदाम बतौर इस्तेमाल किया गया था.

पिस्तौल-देसी तमंचे
दिल्ली हिंसा में शाहरुख का पिस्तौल लहराता वीडियो और फोटो तो सभी ने देखा था. उसने पुलिस और भीड़ पर 8 राउंड गोलियां भी चलाई थीं. जहां-जहां हिंसा हुई, वहां खूब गोलियां चलीं. यहां तक कि हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल की मौत भी गोली लगने की वजह से ही हुई. यानी दंगाई अपने साथ पिस्तौल या तमंचे लिए हुए थे. यह बताता है कि दंगाई सोची-समझी साजिश के तहत दिल्ली को फूंकने पर आमादा थे.

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ईंट-पत्थर
सांप्रदायिक हिंसा की चपेट में आए इलाकों की सड़कें और गलियां ईंट-पत्थरों से अटी पड़ी हैं. जाहिर है ईंट-पत्थर रूपी हथियार हिंसा पर आमादा भीड़ के हाथ में आसानी से होता है. इस सबसे आसानी से मिलने वाले हथियार को भी दंगाइयों ने खूब इस्तेमाल किया. दंगाई तो बोरियों में ईंट-पत्थर भरकर अपने साथ लाए थे. दंगा करने वालों ने ईंट-पत्थर का कितना इस्तेमाल किया, इसका अंदाजा तो आपको हिंसा प्रभावित इलाकों की सड़कें देखकर ही लग जाएगा, जो ईंटों से पटी पड़ी हैं.

रॉड-डंडे
हिंसा के पीड़ितों ने ये बात कही है कि दंगाइयों के पास लोहे की रॉड भी थीं, जिनसे वह लोगों को पीट रहे थे. यही वजह है कि इसकी मार से घायल हुए लोगों में से कई शुक्रवार को जिंदगी से जंग हार गए. सुनने में तो यह भी आ रहा कि बहुसंख्यक आबादी की तरफ से हिंसा की शुरुआत लाठी-डंडों से हुई थी, जिसकी प्रतिक्रियास्वरूप बाद में खतरनाक हथियार इस्तेमाल में लाए गए.

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चाकू-धारदार हथियार
दंगाइयों के हाथों में चाकू और अन्य धारदार हथियार भी थे. इंटेलीजेंस ब्यूरो के कर्मी अंकिश शर्मा की पोस्टमार्टम रिपोर्ट दिल दहलाने वाली है. पीएम रिपोर्ट से पता चला है कि अंकित की हत्या बेहद निर्ममता के साथ की गई. उसके शरीर पर चाकू के 400 वार पाए गए. यही नहीं, हिंसा में मारे गए कई अन्य लोगों के कत्ल बेरहमी से किए गए हैं. चाकू के अलावा अन्य धारदार हथियारों का इस्तेमाल भी किया गया.