उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के जंगल में पुलिस को बच्ची मिली है। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक बच्ची जानवरों की तरह व्यवहार कर रही है और आवाज भी वैसे ही निकाल रही है।
बताया जा रहा है कि पुलिस को रात्री गश्त के दौरान यह बच्ची मिली है। बताया जा रहा है कि बच्ची जानवरों के बीच रह रही थी। पुलिस ने इस बच्ची को बंदरों के बीच से निकालकर अस्पताल पहुंचाया है। जहां उसका इलाज चल रहा है। बच्ची अस्पताल में भी उसी तरह का व्यवहार कर रही है।
खबरों की माने तो यूपी पुलिस में 100 नंबर पर तैनात एसआई सुरेश यादव को 25 जनवरी को यह बच्ची मिली। बच्ची कतर्नियाघाट सैंचुरी के मोतीपुर रेंज के जंगलों में मिली। इसकी उम्र लगभग चार साल बताया जा रहा है।
पुलिसकर्मियों ने जैसे ही बच्ची को अपने साथ लाना चाह वहां मौजूद बंदर चीखने चिल्लाने लगे फिर भी पुलिस बंदरों के बीच से इसे निकालने में कामयाब हो गई। लड़की के शरीर पर चोटों के निशान हैं।
जख्मी बच्ची को सबइंस्पेक्टर सुरेश यादव ने मिहीपुरवा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया। हालत में सुधार न होने पर बाद में बच्ची को बेहोशी की हालत में जिला अस्पताल पहुंचाया। यहां धीरे-धीरे बालिका की हालत में सुधार आ रहा है।
बहराइच जिला अस्पताल के डॉक्टरों के मुताबिक, यह बच्ची डॉक्टरों व अन्य लोगों को देखते ही चिल्ला उठती है। यह न तो उनकी भाषा समझ पाती है और न ही कुछ ठीक से बोल पा रही है। इस वजह से बच्ची के इलाज में भी दिक्कत आ रही है।
बहराइच एएसपी सिटी दिनेश त्रिपाठी के अनुसार, 'कतर्नियाघाट जंगल के मोतीपुर रेंज से बंदरों के बीच से बरामद हुई बच्ची के हाव-भाव को देखकर लगता है कि ज्यादा दिनों से वह बंदरों के बीच में रह रही थी। समय-समय पर मैं खुद जिला अस्पताल जाकर बच्ची का हालचाल लेता रहता हूं। पहले की अपेक्षा बच्ची की हालत में सुधार हो रहा है।'
जिला अस्पताल बहराइच के सीएमएस डॉ. डीके सिंह ने बताया, 'अस्पताल में बालिका डॉक्टरों व अन्य लोगों को देखते ही चिल्ला उठती है, जिसकी वजह से इलाज में चिकित्सकों व स्टाफ नर्सों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यह लड़की किसकी है, कहां की है, यह किसी को पता नहीं है। लड़की कब से जंगल में जानवरों के बीच थी, यह भी कोई नहीं बता पा रहा है। लड़की का इलाज किया जा रहा है लेकिन, उसकी भाषा जानवरों की तरह है। इसलिए इलाज में दिक्कतें आ रही है।'