#NNBadaSawaal : राम मंदिर के नाम पर दबाव की राजनीति क्यों?

सवाल उठता है कि जब 29 अक्टूबर को अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई होनी है तो संतों का यह सम्मेलन क्यों बुलाया गया है? क्या 2019 का लोकसभा चुनाव राम के नाम पर ही लड़ा जाएगा।

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saketanand gyan
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#NNBadaSawaal : राम मंदिर के नाम पर दबाव की राजनीति क्यों?

राम मंदिर निर्माण को लेकर दिल्ली में विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के द्वारा बुलाई गई संतों की बैठक के बाद एक बार फिर अयोध्या का मसला गरम हो गया है. 2019 आम चुनाव से पहले राम मंदिर को लेकर वीएचपी की बैठक राजनीतिक ज्यादा प्रतीत हो रही है. ऐसे में सवाल उठता है कि जब 29 अक्टूबर को अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई होनी है तो संतों का यह सम्मेलन क्यों बुलाया गया है? साथ ही सवाल उठता है कि क्या 2019 का लोकसभा चुनाव राम के नाम पर ही लड़ा जाएगा. वीएचपी की इस बैठक में देशभर के प्रमुख साधु-संतों को न्योता भेजा गया था. संतों की बैठक से साफ है कि राम मंदिर के नाम पर दबाव की राजनीति की जा रही है. इसके अलावा एक महीने में तीन बार राम मंदिर पर संघ प्रमुख के बयान के क्या मायने हैं? इन सब आज के डिबेट शो में होगी सबसे बड़ी बहस.

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इसी मुद्दे पर आज आपके लोकप्रिय चैनल न्यूज नेशन पर शाम पांच बजे खास शो 'बड़ा सवाल' में बहस होगी. इस बहस में आप भी ट्विटर और फेसबुक के जरिए हिस्सा लेकर एंकर अजय कुमार और मेहमानों से अपने सवाल पूछ सकते हैं.

इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर बहस के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नेता प्रेम शुक्ला हमारे साथ जुड़ेंगे और इस पर अपनी राय देंगे. वहीं इस बहस में समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अनुराग भदौरिया, हिंदू धर्म गुरु मौलाना राम विलास वेदांती, स्वामी चक्रपाणि महाराज, धर्म गुरु मौलाना अतर हुसन देहलवी, संघ विचारक संगीत रागी, महंत नवल किशोर दास, राष्ट्रीय उलेमा परिषद के अध्यक्ष मौलाना आमिर राशिद मदनी भी जुड़ेंगे.

इस मुद्दे पर आप भी आज के शो में शामिल मेहमानों और विशेषज्ञों से राय सवाल पूछ सकते हैं. @NewsStateHindi के ट्विटर हैंडल और फेसबुक पेज पर ट्वीट पूछिए अपने सवाल.

शुक्रवार को सेंट्रल शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने एक बार फिर से बाबरी मस्जिद को लेकर बयान दिया. वसीम ने कहा कि हिंदुस्तान की जमीन पर बाबरी ढांचा कलंक है. बाबरी को मस्जिद कहना गुनाह-ए-अज़ीम है, क्योंकि मस्जिद के नीचे की खुदाई 137 मजदूरों ने की थी जिसमें 52 मुसलमान थे. उन्होंने कहा कि खुदाई के दौरान 50 मंदिर के स्तंभों के नीचे के भाग में ईंटों का बनाया गया चबूतरा मिला था. इतना ही नहीं मंदिर से जुड़े कुल 265 पुराने अवशेष मिले थे.

वसीम रिजवी ने कहा कि अभी भी वक्त है कि बाबरी मुल्ला अपने गुनाहों की तौबा करें और पैगम्बर मोहम्मद के इस्लाम को माने. अबु बक्र के विचार को छोड़ो. इसके साथ ही एक समझौते की मेज पर बैठकर हार जीत के बगैर राम का हक हिंदुओं को वापस करो और एक नई अमन की मस्जिद लखनऊ में जायज पैसों से बनाने की पहल करो.

Source : News Nation Bureau

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